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महाराजा सम्प्रति के शिलालेख
भगवान महावीर को पहचानने के लिये लांछन (चिह्न)४४ सिंह ही है और इसी लिये भगवान महावीर के जीवन-चरित्र के साथ संकलित होने वाली कितनी ही घटनाओं के निर्देश के लिये सम्राट ने उन-उन स्थानों में ये सब स्तंभलेख खड़े करवाए हैं,
और उनकी पहचान के लिये ही उन सब स्तंमों पर उन्होंने सिंह की आकृति बनवाई है। __इन सब विवरणों और प्रमाणों से स्पष्ट सिद्ध हो जाता है कि सम्राट अशोक के बतलाए जानेवाले सभी शिलालेख और स्तंभलेख सम्राट अशोक के नहीं वरन् सम्राट् संप्रति के खुदवाए हुए हैं और ये सब जैनधर्म से संबंध रखते हैं।
(४४) प्रचलित अवसर्पिणी काल में हुए चौबीसों तीर्थङ्करों के नाम तथा उनकी पहचान करानेवाले लांछनों को देखिए ।
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