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प्रा० जै० इ० दूसरा भाग
राज्य काल समाप्त हुआ, और उसका राज्य काल ई०पू०३८२ से ३५८ तक २४ वर्ष है। ___ यहाँ तक मौर्यवंश के पहले के तीन राजाओं का काल निर्णय कर चुके हैं और वह निम्नलिखित प्रकार से सिद्ध हुआ है। . क्रम राजा गद्दी पर बैठना राज्याभिषेक राज्य का अंत राज्य का काल
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१ चन्द्रगुप्त ३८२ ३७२-१ ३५८३७ २ बिन्दुसार ३५८३८ ३४५३९ ३३० २८४० ३ अशोक ३३० ३२५-६ २८६
(३७) वास्तव में तो इसने ई० पू० ३५८ में जैन दीक्षा ही ली है और उसके बाद बहुत वर्षों तक दक्षिण भारत में श्रवण वेल गोला के पास चन्द्रगिरि पर्वत पर ( जिसका नाम ही चन्द्रगुप्त के नाम से चन्द्रगिरि पड़ गया है ) रहकर तथा अनशन करके स्वर्गवासी हुआ है। भगवाहु स्वामी जब दक्षिण गए उस समय यह उनके साथ विहार में जाता।
(३८) जैन मतानुसार उसने १६ वर्ष राज्य किया है, यह बात ठीक उतरती है ३३०-१६ अर्थात् ईसा पूर्व ३४४-४५ में राज्याभिषेक हुआ माना है इस बीच में ई० पू० ३१८ से ३४५ तक चन्द्रगुप्त स्वयं साधु रूप में जीता रहा होगा। इसीसे अपने बाप के जीते जी बिन्दुसार गद्दी पर नहीं बैठा होगा, इससे यह भी प्रकट होता है कि चन्द्रगुप्त की मृत्यु ई० पू० ३४५ में हुई होगी।
(३६) देखिए ऊपर की टीका नं. ३८ ।
(४०) पुराणों में २५ वर्ष लिखा है और बौद्ध पुस्तकों में २८ वर्ष लिखा है (प्रो० हुल्टश, अशोक का लेख, पु० १ पृ. XXXII) जैन मतानुसार उसका राज्य काल मात्र १६ वर्ष है । इस तरह बौद्ध और जैन दोनों मत मिलते हुए हैं देखिए नोट ३८ का खुलासा ।
(४१) ऊपर पैराग्राफ ५ पृष्ट ७० में देखिए ।
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