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प्रा० जै० इ० दूसरा भाग ( अब सम्राट चन्द्रगुप्त के काल का निर्णय कीजिये )।
(१) ब्राह्मण धर्म के पौराणिक ग्रन्थों में लिखा है कि प्रथम नंद के ठीक एक सौ वर्ष बाद चन्द्रगुप्त मगधाधिपति हुआ। प्रथम नंद का राज्य काल ई० पू० ४७२ है। इस हिसाब से चन्द्रगुप्त का राज्याभिषेक १ ई० पू० ३७२ में हुआ ऐसा कहा जा सकता है । (४७२ = १०० = ३७२ )
(२) सिंहली इतिहास के अनुसार चन्द्रगुप्त, बुद्ध सं० १६२ में राज्याधिरूढ़ हुआ था। सिंहली लोग बुद्ध सं० ५४३ वर्ष ई० पूर्व से गिनते हैं । इस हिसाब से ( ५४३-१६२ ) ३८१ ई० पूर्व उसका गद्दी पर बैठना होगा। इस हिसाब से गद्दी पर बैठने ६ वर्ष पूर्व३२ का काल होगा। ( देखिये पहला पैराग्राफ)
(३) जनरल कनिगहम साहब लिखते हैं33 कि चाहे जो कुछ हो किन्तु यह तो सत्य है कि चन्द्रगुप्त की राजगद्दी का काल निर्णय करने में ६६ वर्ष की ग़लती हुई है। ईसा पूर्व ३१६ के बदले बुद्ध सं० १६२ काल होना चाहिए।
(३०) देखिए मेरे लेख के शिशुनाग वंश की वंशावली टिप्पणी नं० ११ ( चाहे जो कुछ हो अभी तक चन्द्रगुप्त के राज्यारोहण का काल निश्चित नहीं होता है इसके वारे में विशेष शोध की आवश्यकता है)।
(११) मौर्य वंश की स्थापना अथवा चन्द्रगुप्त का गद्दी पर पाना ई० पू० ३७२ में हुआ है, किन्तु ५, ६ वर्ष तक नंद जैसे प्रतिद्वन्दी का मुकाबिला करने में बीता है दूसरे और चौथे पैराग्राफ़ से मिलाइये ।
(३२) मिलाइए ऊपर को टीका नं० ३१ तथा देखिए इण्डि० एण्टीकरी पु० ३७ पृ. ३४५ ।
(३३) कोरपस इन्स्क्रीप्शन--प्रोफेस-JV |
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