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श्रीगणेशाय नमः। श्रीमन्महादेवदैवज्ञविरचितं
वर्षदीपकम् भाषाटीकासहितम् ।
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नत्वा गुरुपदाम्भोज हेरम्बं शिवशारदाम् ॥ वर्षदीपकग्रन्थस्य नृभाषाविवृति लघुम् ॥ १॥ कुर्वे वै श्रीनिवासोऽहं बालानां सुखहेतवे ॥
यदत्रोनं ममाज्ञानाद्विबुधाश्च क्षमन्तु तत् ॥२॥ भाषाकार, विघ्नविनाशार्थ मुरु गणपतिको नमस्काररूप मंगलाचरण करके भाषारचनाके प्रयोजनपूर्वक क्षमापन मांगता है।
श्रीगुरु ( महादेवजी) के चरणकमलको, हेरम्ब (गजानन) को, शंकर और शारदा' (सरस्वती) को नमस्कार करके मैं श्रीनिवासशर्मा वर्षदीपकग्रंथकी बालकोंको सुखसे बोध होनेके लिये लघु (छोटीसी) भाषाटीका करता हूँ, इसमें यदि मेरे अज्ञानसे जो कुछ क्षति रही हो उसे पंडितलोग वारंवार क्षमा करें यह प्रार्थना है ॥ १ ॥२॥
प्रथम शिष्टाचारपरिपालनार्थ और निर्विघ्नवासे ग्रन्थपरिसमाप्त्यर्थ ग्रन्थकर्ता स्वष्टदेवको नमस्काररूप मंगलाचरण करते हैं ।
श्रीगणेश गुरुं नत्वा शुद्धां श्रीभुवनेश्वरीम् ॥
महादेवं महादेवः कुरुते वर्षदीपकम् ॥१॥ श्रीगणेशजीको, गुरुजीको, शुद्धस्फटिकसहश निर्मलस्वरूपा श्रीभुवनेश्वरीजीको और शंकरको नमस्कार करके महादेव ज्योतिर्विद वर्षदीपक ( वर्षके गणितमार्गका प्रकाश करनेवाला दीपक ) नाम अंथ करते हैं ॥ १ ॥.
प्रतिवर्ष जन्मग्रहोदयात्पूर्व जानीयात् ॥२॥ वर्षवर्षमें जन्मके इष्ट वार ग्रह उमादि प्रथम जानना (हरवर्ष बनानेके समय जन्माक्षरमें लिखे हुए जन्मका कर इष्टपटी स्पष्टसूर्य लग्न आदि पहले जानके वर्षके गणितका आरम्भ करना) ॥२॥
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