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पत्रीमार्गप्रदीपिका ।
दशांशसारणीचक्रम् । ।।२।।। ४ ५ ६ ७ ८ | ९ | १०
राधी | स.
[१०] ७
१२
२
११ | ४ ।। ६ । ३ । ८ । ५ । ३० । १०
चरराशि मेष राशिको आदि ले, स्थिरमें सिंहको आदि ले, द्विस्वभावमें धन राशिको आदि ले जितनी संख्याक विभागमें हो उतनी संख्यापर्यव गिननेसे जो राशि आवे उस राशिका स्वामी षोडशांशका स्वामी होता है ।
पोडशाशविभाग (पाये.) |६| ७ | ८ | ९ |10|1|१२|
PRI
|१४|१५|१६|
अब दशवर्ग बनानेकी रीति कहते हैं:सप्तवर्गमें दशांश षोडशांश षष्टयंश मिलानेसे दशवर्ग होते हैं ।
अथाष्टवर्गनयनमाह टुंढिराजः । स्वान्मंदात्कुजतो रविम॒तितपोलाभार्थकेंद्रस्थितः शुक्रादस्तरिपुव्ययेषु च गुरोर्धारिपुत्राप्तिषु ॥ चन्द्रात्प्राप्तिरिपुत्रिखेषुशशिजातपंचत्रिनन्दव्ययारिप्राप्त्यभ्रगतस्तनोस्त्रिखसुखोपांत्यारिरिःफे शुभः ॥ २२॥
अब अष्टवर्ग बनानेकी रीति टुंढिराज कहते हैं:प्रथम सूर्याष्टवर्ग कहते हैं:-सूर्य अपने स्थानसे और भौमसे और शनिसे था। ११ . में स्थानमें शुभ फल देवा है और शुकसे ७६।१२, गुरुसे
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