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वर्षदीपकम् । घटे नगांगादिपञ्चेषवः शुक्रज्ञेज्यारमन्दानाम् ॥ १४ ॥ कुम्भराशिमें नग ७ अंग ६ अदि ७ पंच ५.इषु ५ इन अंशोंमें यथाक्रम शुक्र, बुध, गुरु, मंगल, शनि हद्दाके स्वामी जानना ॥ १४॥
झषेऽब्ध्यिग्न्यंकाक्ष्यंशाः सितेज्यज्ञाराकीणाम् ॥ १५॥
मीनराशिमें अर्क १२ अब्धि ४ अग्नि ३ अंक ९ अक्षि २ इन अंशोंके क्रमसे शुक, गुरु, बुध, मंगल, शनि हहाके स्वामी जानना॥ १५॥
हहाचक्रम् ।
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६ गु|
3
में ६ गु
ज
में १२गु| ७७ ७
१२७ अंवस्वामी ।
|६४गुमंशस्वामी. | २३ । १६
१२।१४।१२।१३।११।१७
५ ५५ ७७गु ६७ ७म २५ | २७ । २४ | २६ । २४ | २८
| ५मा ९म । २५ | २८
अंशस्वामी.
२८
ग्रहे प्रथमद्रेष्काणगे तदाशौ वहियोगे मध्यद्रेष्काणगे तद्राशौ सैकोऽन्त्यद्रेष्काणगे रसयोगे तद्राशौ मुनिभक्त शेषेऽर्काद्या पतयः॥१६॥
ग्रह प्रथमद्देष्काणमें हो वो उसकी राशिके अंकमे ३ वीन मिलाना और मध्यरेष्काणमें हो वो उसकी राशिमें (१) एक युक्त करना, एवं अन्त्य (वीसरे) देष्काणमें हो वो उसकी राशिमें ६ छः युक्त करना, अनन्तर उस राशिमें ७ सायका भाग देना, शेष १ बचे तो सूर्य, २ बचे वो चन्द्र, ३ तीन बचे वो मंगल, ४ बचे वो बुध, ५ बचे वो गुरु, ६ बचे दो शुक्र, ७ बचे वो शनि द्रेष्काणका स्वामी होवा है ॥ १६॥
द्रेष्काणचक्रम् ।
|मं. बु.गु. शु. श. र. | चं. मं. | बु. | गु. शु. श. १. अंश. ] |र. चं. | मं. | बु. | गु. शु. श. |र. . मं. | बु. गु. २० अंश ।
शु. ३.२.वं. मं..! गु. | शु. | शर. | चं. मं. १ द्रेष्काण १० अंशका होता है, १० अंशपर्यन्त प्रथम द्रेष्काण, १० से २० अंशपर्यंत मध्य द्रेष्काण, २.३० अंशपर्यंत मत्य प्रेमाण होता है। .
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