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________________ (१०८) वर्षपदीपकम् । उदाहरण। स्पष्टसूर्य १० । १६ । ५३ । ३९ है, इसकी राशि १० अंश १६ के प्रमाण लग्नपत्रमें कोष्ठक देखा ५७ । २१ । ६ है, इसमें इष्टपट्यादि ११ । ३० । १८ मिलाया तो ६८। ५१। २४ हुए । घटीका अंक ६० साठसे अधिक है, अतः साठका भाग दिया शेष ८। ५१ । २४ रहे, यह इष्ट युक्त किया हुआ लग्नपत्रका कोष्ठक हुआ । इस इष्टयुक्त कोष्ठकसे अल्पकोष्ठक लग्नपत्रमें ८।४५॥ ४८ एक १ राशि ११ ग्यारह अंशके कोष्ठकमें मिलता है, इसकारण १ वृषराशि ११ अंश लिये इसके नीचे सूर्यकी कला ५३ विकला ३९ युक्त किया तो १ । ११ । ५३ । ३९ हुआ, तदनन्तर इष्टयुक्त कोष्ठक ८।५१ । २४ और अल्पकोष्ठक ८।४५ । ४८ का अन्तर किया तो ० । ५। ३६ हुआ, इसमें अल्म कोष्ठक ८।४५। ४८ । और ऐष्य कोष्ठक ८ । ५६ । ० के अन्तर० । १० । १२ का भाग दिया परन्तु भाज्य भाजक दोनों कलादिक हैं अतएव इनको सवर्णित किये तो भाज्य३३६ भाजक ६१२ हुए, भाज्यमें भाजकका भाग दिया लब्ध • शून्य अंश आया शेष बचे ३३६ को ६०. साठगुणे किये २०१६० हुए । इनमें फिर ६१२ भाजकका भाग दिया लब्ध ३२ कला आयी, शेष ५७६ बचे उनको ६० साठगुणे किये तो ३४५६० हुए। इनमें भाजक (६१२) का भाग दिया लब्ध ५६ विकला आयी। ऐसे अंशादिक । ३२ । ५६ फल तीन आये इनको प्रथम आये हुए राश्यादिक १ । ११ । ५३ । ३९ में युक्त किये तो १ । १२ । २६ । ३५ । हुए यह राश्यादिक लग्न हुआ। दिनमानसाधन। सूर्यकी राशि १० अंश १६ प्रमाण लगपत्रका कोष्ठक ५७ । २१ । ६ को अपने नीचेके सातवे कोष्ठक २६ । ९ । ४२ मेंसे हीन किया तो २८ । ४८। ३६ इतना दिनमान हुआ। रात्रिमानसाधन। दिनमान २८ । ४८।३६ को ६० साठमसे शोधन किया तो ३१ ॥११॥ २४ रात्रिमान हुआ, इसको आधा किया तो १५॥३५ । ४२ रायई हुआ। चतुर्थभाव इएसाधन । सूर्योदयसे इष्ट ११ । ३० । १८ । में रात्र्यई १५। ३५।४२ युक्त किया तो २७ । ६ । ० इतना चतुर्थ भावका इष्ट हुआ। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034576
Book TitlePatrimarg Pradipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahadev Sharma, Shreenivas Sharma
PublisherKshemraj Krishnadas
Publication Year1851
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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