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नं.६. सुरतवाला वैद्य धीरजराम दलपतरामनो अभिप्राय. महेरबानसाहेब पाणजीवन जगजीवन एम. डी.
__मु. धरमपुर स्टेट, महेरबानसाहेब आपना सरफथी सुरतमा प्रगट थतां देशीमित्र नामना पत्रमा वि. जयादशमीने दिवसे केटलाएक राज्योमा पाडा विगैरे प्राणीओनां बलीदान करवामां आवे छे. तेनो विधि शास्त्रमा छ के केम ? ते उपर आपना तरफथी सात प्रश्नो करवामां आवेला छे तेनो जवाब हुं मारी मति प्रमाणे आपवानी रजा लऊळु.
१ जेने आर्यलोको धर्मपुस्तक तरीके माने के अने जे सर्व मान्य छे एवा पुस्तकोमा तो कोई पण जातनी हिंसानो विधि जोवामां आवतो नथी. पण वाममार्गीओना तंत्र ग्रंथोमां एवोज विधि केटलेक ठेकाणे जोवामां आवे छ. पण तेने आर्यलोको सर्वमान्य के बहुमान्य गणता नथी जेथी तेवां पुस्तकोनो प्रमाण तरीके उपयोग थई शके नहीं.
२ आर्यलोकोना परम-धर्म तरीके वेद मनातो आवेजो छे. अने ते वेदधर्म अहिंसामार्ग फेलावनारो छे अने तेने सघळी आर्य प्रजा सर्वमान्य तरीके गणे छे. तेमज ते माला प्रमाणो उपर पुरतो विश्वास राखी ते प्रमाणे वर्तन करे छे. अने केटलाक धर्म प्रचारको वेदना नामथीज धर्मनो प्रचार करे छे अने तेओ सघळा कहेता आव्या छे के “ अहिंसा परमो धर्मः" आ वाक्य उपर लखवा बेसीए तो घणुं लंबाण थाय माटे टुंकमां एटलुंज के आर्यना कोई पण शास्त्रमा हिंसा ए शब्द पण जोवामां आवतो नथी.
__ ३ मनुष्यमात्रनुं कर्तव्य छे के प्राणीमात्र उपर दया राखवी ने तेथीज ईश्वर राजी थाय छे तो हिंसासिवाय बीजा एवा घणा धर्मों छे के ईश्वर राजी थायछे. ने सघली प्रजा तथा राजा हमेशां सुखचेनमा दिवसो गाले छे.
१ दशराना तहेवार प्रसंगे जो पाडा विगैरेनी हिंसा नहीं करवामां आवे तो तेथी राज्यने तेमज राजाने कोईपण प्रकारचें कर्मबन्धन थतुं नथी पण उलटुं पुण्य थाय छे भने तेनी कीर्ति आ पवित्र आर्यावर्त्तनी भूमि उपर दिशोदिश प्रसरी रहे छे.
५ ज्यारे आवी हिंसानो विधि कोई पण ठेकाणे जोवामां आवतो नथी त्यारे सहज शंका उत्पन्न थाय छे के ए धारो केवी रीते थयो भने ते पडवानुं कारण शुं ? अने ते धाराने राजा लोकोज केम वधारे माने छ ? अने बीजा कोई मानता नथी ? तेनो जवाब आप निचली कलम वांचवाथी ध्यानमां लावी शकशो.
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