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तो तेने गमतुं नथी. जेम चोर छे ते चोरी करे छे; पण चारेने घरे को ई चोरी करे तो ते तेने गमती नथी. तेमज आ तमारी करेल गलीची तेने केम गमशे? नहींन गमे. अने शुभतो गमे ज माटे पशुवध बंध करी तेने बदले बीजा अहिंसक अने बने राजी थाय एवां पदार्थो आपवां उत्तम छे. अने तेथी वळी आपणुं धारेलं काम थाय छे. अने शास्त्रने बाध आवतो नथी. माटे ए उत्तम छेए अनुमान अने प्रत्यक्ष प्रमाणो आप्या. हवे सूक्ष्म बुद्धिधी विचारिए-आपणुं आ स्थूळ शरीर पंचमहाभूतनुं बनेल जणाय छे. कठण भाग पृथ्वीनो, द्रवी भाग जळनो, उष्ण भाग अग्निनो, गति भाग वायुनो अने पोलाण ए आकाशनो भाग छे. आ स्थूल शरीरनी अंदर सुक्ष्म शरीर छे ते सूक्ष्म शरीर पांच ज्ञानेंद्रिय, पांच कर्मेंद्रिय, पांच प्राण, अंतःकरण चार ए रीते ओगणीश तत्त्वनुं बनेल जणाय छे. अने एमना ओगणीश देवताओ छे एम सांभळ्युं छे हवे आथी शुभ ने अशुभ बे कृत्यो बने छे माटे तेना बे भागो जणाय छे. ज्यारे तेना शुभ अने अशुभ वृत्तिवाळा बे भाग छे त्यारे तेमना देवताना पण बे भाग होवा जोईए. आपणे एम सांभळ्युं छे के "पिंडे सो ब्रह्मांडे" त्यारे पिंड (शरीर) प्रमाणे ब्रह्मांडमां पण होवू जोईए. ते विचारतां ते पण एमन जणाय छे. पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु अने आकाश ए पांच मळीने आ ब्रह्मांड स्थूल शरीर छे. अने ते वैराट · शरीर कहेवाय छे एम सांभळ्युं छे. त्यारे आ वैराटने पण सूक्ष्म शरीर होवू जोइए अने विचारतां जणाय छे के छे. त्यारे जोइए तो मालम पडे छे के पांच कर्मेद्रिय, पांच ज्ञानेंद्रिय, पांच प्राण ने अंतःकरण चार ते तेमने पण छे. तथा देवता पण तेज प्रमाणे छे. आपणुं अने एर्नु बेउनु एक सरखं शरीर जणाय छे. आपणा शरीरने व्यष्टि अने आने समष्टि कहे छे एम सांभळ्युं छे. अने एमां पण शुभाशुभ कृत्यने शुभाशुभ देवताओ छे एम जणाय छे. खावानुं ते जठर द्वारा इंद्रियो तथा तेना देवताने पहोंचे छे. सांभळवू श्रवणद्वारा तेमने पहोंचे छे, जोवु नेत्रद्वारा पहोंचे छे, स्पर्श ते त्वचा इंद्रियद्वारा पोहोंचे छे. रस ते रसना द्वारा पहोंचे छे, अने गंध ते घाणेंद्रिय द्वारा पहोचे छे. आ बधाने पहोंचे छे ए खरी वात, पण जो जठरा न होय तो ए बधां लूलां वा जणाय छे. अने ते द्वारा ए इंद्रियोने ने देवताने खोराक पहोंचतो होय एम मालम पडे छे. इंद्रियो तथा देवताओ आपणा शरीरमां जठरावडे खोराक खातां होय अने तेथी ज काम करवा शक्तिमान थतां होय तेम जणाय छे. तथा आपणे जे जे खाईए. छीए ते ते जठरा ते देवाने पहोंचाडे छे. एटले जठरा द्वारा पहोंचे छे अने जेवो खोराक तेवा तेमांथी विचारो उठता होय तेम जणाय छे. तथा कहेवत छे के अन्न तेवो उद्गार ते वात खरी जणाय छे. हवे आपणे व्यष्टि प्रमाणे समष्टिमां जोइए तो तेनी नठरा प्रत्यक्ष " अग्नि " होय एम नणाय छे. अने आ अग्नि ते इन्द्रियो अने देवताओने खोराक पहोंचाडती होय एम जणाय छे तथा तेथी ज तेओ शक्तिमान रहेता होय एम जणाय छे. आपणे खाईए छीए ते जठरा ग्रहण करीने जेम देवने पहोंचाडे छे तेम आ अग्नि पण ते इन्द्रियो तथा देवने पहोंचाडे छे. हवे विचारीए के आपणो आ
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