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( २२ ) ८. सभापति की अनुपस्थिति में उप-सभापति को उसके
कार्यों का सञ्चालन करना होगा। ६. उप-सभापति को सभापति के कार्यों में सहायता प्रदान करने का अधिकार होगा।
प्रधान मंत्री एवं संयुक्त मंत्री निर्वाचनः-प्रधान मंत्री ही कार्यकारिणी समिति का वास्तविक प्रधान होगा। इस संस्था का सञ्चालक ही इस सस्था का प्रधान मंत्री समझा जायगा। प्रधान मंत्री का किसी भी हालत में निर्वाचन नहीं होगा। वह इस संस्था का संचालक संयोजक, कार्यकर्ता, अथवा सर्वेसर्वा सब कुछ होगा। इसके अतिरिक्त संयुक्त मंत्री का निर्वाचन करने का अधिकार कार्यकारिणी समिति को रहेगा। संयुक्त मंत्री का निर्वाचन कार्यकारिणी समिति के सदस्यों में से ही किया जायगा।
पद त्यागः-प्रधान मंत्री अपने पद ग्रहण की तिथि से लेकर जीवन भर तक अपने पद पर बना रहेगा। परन्तु इसी बीच वह किसी कारणवश पद-त्याग करना चाहे तो अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा संयुक्त मंत्री के नाम अपना त्यागपत्र दे सकेगा। __ स्वेच्छा से पदत्याग करने के अतिरिक्त प्रधान मन्त्री को अपने पद से हटाने के लिए भी व्यवस्था की गयी है। क्योंकि सम्भव है कि भविष्य में वह सम्मेलन के नियमों एवं उद्देश्यों की कोई परवाह न कर आलसी, दुष्ट, पापी तथा अत्याचारी बनकर समाज की ओट में पापाचार करने की कोशिश करे।
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