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शिक्षा पूर्ण होने तक उसको छात्र निवास में ही रहना होगा । संरक्षित छात्र के परिवार का कोई भी सदस्य उससे केवल महीने में दो बार भेंट कर सकेगा । लेकिन किसी भी छात्र को बिना आज्ञा के कोई भी वस्तु देना अपराध समझा जायगा । प्रत्येक अध्यापक को उसके परिवार के अनुसार ही वेतन दिया जायेगा | अध्यापक का कर्त्तव्य छात्रों को देश का एक अच्छा नागरिक बनाना है | स्वार्थ को त्याग कर ही इस जिम्मेदार कार्य को किया जा सकता है। छात्र निवास के अतिरिक्त बाहरी छात्र या छात्राओं के पढ़ने का प्रबन्ध भी होगा। लेकिन उनको भी विश्वविद्यालय सम्बन्धी प्रत्येक नियमों का पालन करना पड़ेगा । उनको योग्य नागरिक बनाने के लिये माता पिता को भी ख्याल रखना होगा। इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल देश के लिये अच्छे तथा योग्य नागरिकों को बनाना ही है। शिक्षा विभाग से सम्बन्धित प्रत्येक व्यक्ति को स्वार्थ रहित होना चाहिये। उनमें स्वार्थ की भावना बिलकुल नहीं रहनी चाहिये। छात्र की इच्छानुसार ही उसको शिक्षा हो जायेगी । अतिशीघ्र इस शिक्षा को चालू करना ही हमारा कर्तव्य है । चार वर्ष से छोटे बच्चों को शिक्षा विभाग स्वीकार नहीं करेगा। शिक्षा में अवस्था का भी ध्यान रखना होगा । प्रत्येक छात्र को उसकी इच्छानुसार शिक्षा दी जायेगी । इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सम्मेलन समाज के प्रत्येक व्यक्ति से अनुरोध करता है कि आप लोग इसकी स्थापना के वास्ते पूर्ण रूपसे आर्थिक सहयोग प्रदान करेंगे तथा साथ
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