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________________ हूं। स्कूल में तो लड़के थोड़ी देर रहते हैं, लेकिन सदाचार, सच्चरित्रता आदि गुण उन में माता से ही आते हैं। अशिक्षिता माता न तो गृहस्थी का ही उचित प्रबन्ध कर सकेगी और न उसे अपने बालबच्चों को ठीक रास्ते पर लाने का ही ढग आवेगा। संसार के सब उन्नत देशों में शिक्षिता महिलायें ही राष्ट्र और जातियों का निर्माण कर रही हैं। भारतवर्ष में पढ़ी लिखी स्त्रियां हो देशोन्नति की गति को अग्रसर कर रही हैं। वर्तमान राष्ट्रीय आन्दोलन ने हमें दिखा दिया है कि नारी जाति शिक्षा पाने पर क्या कर सकती है। अब समय आ गया है, जब हमारे समाज को भी अपनी बहिनों और माताओं की शिक्षा का बीडा उठाना पडेगा। क्योंकि सब जातियों की उन्नति की नीव नारी-शिक्षा पर ही अवलम्बित है। स्री-शिक्षा पर बहुत कुछ साहित्य लिखे जा चुके हैं, जिस के दोहराने की जरूरत नहीं। परन्त अपने समाज के विषय में यह कहना पडेगा कि इस ओर अभी तक भारत के किसी प्रांत में या किसी भी नगर में हमारा समाज उचित प्रबन्ध करते दिखाई नहीं पड़ता। कलकत्ता नगरी के "ओसवाल नवयुक समिति के उत्साही सदस्यों के परिश्रम से कहां एक ओसवाल महिला सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन की समानेत्री श्रीमती हीरा कुमारी, व्याकरण सांत्यतीर्थ ने जो भाषण दिया था, वह बड़े महत्वका था। उस में उन्हों ने अपने समाज की स्त्रियों के मुण और दोषों के साथ साथ शिक्षा के विषय में आवश्यकीय सब बातें बताई थीं। परन्तु इन सब व्यवस्थाओं के लिये फण्ड की विशेष मावश्यकता रहती है। जब तक ऐसे ऐसे सम्मेलनों से तथा संगठित शक्ति से प्रस्ताव कार्य रूप में परिणत नहीं किये जायगे तब तक कुछ फल नहीं होगा। शारीरिक उन्नति भी शिक्षा का एक अङ्ग है। इस में भी अपना समाज बहुत पीछे है। और और समाजों में इस विषय पर जितना ध्यान दिया जाता है, हमारे समाज में उतना नहीं दिया जाता। हमारे भाई दिन रात व्यवसाय वाणिज्य में पंसे रहने के कारण इस ओर से प्रायः उदासीन रहते हैं। मनुष्य-जीवन सफल करने में स्वास्थ्य का प्रथम स्थान है, 'एक तन्दुरस्ती सौ न्यामत' यह प्रत्यक्ष देख रहे हैं, फिर भी स्वास्थ्य की उन्नति के उपाय सोचने तथा उन्हें कार्यरूप में परिणत करने में समुचित प्रयत्न नहीं होता। सबल शरीर में रहनेवाली आत्मा भी बलवान होती है। संसार की सहस्रों अन्य जातियां भी व्यवसायी और वाणिज्य-प्रेमी हैं, परन्तु वे अपने स्वास्थ्य पर उचित ध्यान देना प्रथम कर्तव्य समझती हैं और इसी कारण वे सब कामों में अपने लोग से अधिक सफलता प्राप्त करती हैं। व्यायाम के अतिरिक्त जब तक एक दिनचर्या के अनुसार रहन सहन, आहार बिहार करने का अभ्यास नहीं रखेंगे तो क्रमशः स्वास्थ्य नष्ट होता जायगा। स्वास्थ्य के लिये लच्छ जलवायु और शुद्ध भोजन को सामग्री अत्यावश्यक है। साथ साथ कुछ व्यायाम और मनोरंजन का समय भी निषत करना चाहिये। स्वास्थ्य उन्नति से केवल समाज की नहीं, बल्कि देश की उन्नति में भी हम लोग भाग ले सकेंगे। एक समय था कि हमारे समाज में सच्चे वीरों की कमी नहीं थी। यदि इस ओर ध्यान दिया जाय और व्यायामसाला आदि स्थापित हों तथा समय और साधन के अनुकूल व्यवस्था कर के हम क्रमश: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034568
Book TitleOswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Sahab Krushnalal Bafna
PublisherRai Sahab Krushnalal Bafna
Publication Year1933
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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