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________________ अनुसन्धान किये हैं और उन चमत्कारों को देश के सामने रक्खा है, जो सदियों से अन्धकार के पर्दे में छिपे हुए थे। आपका पुस्तकालय और प्राचीन भारतीय मूर्तियों, चित्रों तथा सिक्कों का संग्रहालय कलकत्ता नगरी का एक दर्शनीय स्थान है। आपका परिवार उच्च शिक्षित है। बंगाल-प्रान्त में जाकर बसने वाले ओसवालों में सबसे पहले उच्च शिक्षा आपने ही प्राप्त की। विश्व-विद्यालय छोड़ने के बाद भी कलकत्ता, ढाका आदि विश्व. विद्यालयों से परीक्षक के रूप में आप का सम्बन्ध रहा। आई०ए०, बो० ए० आदि के तो परीक्षक आप होते ही थे, कलकत्ता विश्व-विद्यालय की सुविख्यात प्रेम चन्द राय चन्द परीक्षा तक के भी आप परीक्षक थे। बनारस विश्व-विद्यालय में आप कई वर्षों तक श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय के प्रतिनिधियों में से थे। ऐसे योग्य सभापतिको पाकर आज हम सचमुच अपने को अहोभाग्य समझते हैं। बन्धुओं! अब मैं आप से बिदा और क्षमा चाहता हूं। अपनी कमजोरियों से आदमी स्वतः परिचित रहता है। मैं भी अपनी त्रुटियों का जानकार हूं। मैं जानता हूं कि हमारी सेवा में बहुत कुछ त्रुटियां रह गई हैं। मुझे मालूम है कि हम आप के अनुकूल अपनी सेवा नहीं कर सके। सज्जनों! आप उदार हैं, आप का हृदय विशाल है। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हमारी त्रुटियों के लिये आप का उदार हृदय अवश्य ही हमें क्षमा प्रदान करेगा। स्वागत समिति के उत्साही कार्यकर्ताओं तथा सुयोग्य पदाधिकारियों ने जिस तत्परता के साथ काम किया है, उस के लिये उन्हें धन्यवाद देना भो मैं नहीं भूल सकता। यह उन के उद्योग का ही फल है कि थोड़े समय में ही, जैसा भी हो सका, हम लोग सम्मेलन की तैयारी पूरी करने में सफल हुए। हमारा निमन्त्रण स्वीकार कर निजी काम-धन्धों को छोड़ तथा अनेक कष्टों को सह कर आपने यहां पधारने की जो असोम कृपा को है, उस के लिये आप को एक बार फिर हृदय से धन्यवाद देता हुआ मैं अपने स्थान को ग्रहण करता हूं। अजमेर सं० १९८६, कार्तिक बदी १ सन् १९३२ ई० राजमल ललवाणी . स्वागताध्यक्ष, प्रथम अधिवेशन श्रीअखिल भारतवर्षीय ओसवाल महासम्मेलन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034568
Book TitleOswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Sahab Krushnalal Bafna
PublisherRai Sahab Krushnalal Bafna
Publication Year1933
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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