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[ ४२ ] समाज का मुख उज्ज्वल किया है। फिर भी वर्तमान दोषपूर्ण शिक्षाप्रणाली के कारण शिक्षितों का पूर्ण विकाश नहीं हो पाता है। हमारे नवयुवकों को चाहिये कि शिक्षा-प्राप्ति के समय अपने स्वास्थ्य की ओर वे पूरा २ ध्यान रखें। मानसिक विकाश के साथ साथ शारीरिक उन्नति करने पर ही वे अपनी चमक से समाज को आलोकित कर सकेंगे। . विद्याप्रचार के साथ साथ हम लोगों को पारस्परिक संगठन की ओर भो यथेष्ठ ध्यान देना चाहिये। हम इतनी बड़ी संख्या में यहां सम्मिलित हुए हैं, इस से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम में अब संगठित होने की प्रवृत्ति उत्पन्न हुई है। मैं आप से अनुरोध करता हूं कि आप इस प्रवृत्ति को स्थायित्व प्रदान करें। इन दिनों कुछ लोग सम्मेलनों तथा सभा सोसाइटियों को फैशन के रूप में देखते हैं। सामाजिक अथवा राजनैतिक समारोह समझ कर आमोद प्रमोद के लिये वे इन में चन्द घण्टों के लिये सम्मिलित हो जाते हैं। मैं आप से प्रार्थना करता हूं कि यदि अपने लिये नहीं तो भावी सन्तान के हित को सामने रख कर आप इस प्रबृत्ति को स्थायित्व प्रदान करें। यह एक लहर आई है, यदि आप चाहेंगे तो इस लहर के द्वारा अपनी बुराइयों को धो सकते हैं, कमजोरियों से मुक्ति पा सकते हैं। मेरा हृदय इस समय आशाओं से परिपूर्ण है। मेरी अन्तरात्मा में आवाज उठ रही है कि आप ऐसा चाहेंगे और अवश्य चाहेंगे।
- सजनों! आओ, कटिबद्ध हो जाओ, इस वेदी पर ही प्रतिज्ञा कर लो कि अपनी बुराइयों से परित्राण पाये बिना हम चैन न लेंगे, सुख की नींद न सोयेंगे। सामाजिक संगठन को सफल बनाने के लिये हमें अपने क्षेत्र को विस्तृत बनाना होगा। जिन लोगों से हमारा खान पान है, उनसे यदि हम बेटी व्यवहार कर लें, तो ऐसा करने में किसी प्रकार को हानि दिखलाई नहीं देती। अनेक समाजों ने उदारता तथा सहृदयता पूर्वक सामाजिक क्षेत्र को विस्तुत किया है और इस से उन को यथेष्ठ लाभ भी हुआ है।
हमारे समाज की व्यावसायिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। निज का न कोई बैंक है और न कापरेटिव सोसायटी। इस का परिणाम यह होता है कि सुसंगठित ढङ्ग से कोई औद्योगिक कार्य भी नहीं हो पाता है। सामाजिक कापरेटिव सोसायटी रहने पर समाज के होनहार छात्रों को इस शर्त पर उच्च शिक्षा के लिये कर्ज दान किया जा सकता था कि विद्या-प्राप्ति के बाद उपार्जन के द्वारा वे उसे अदा कर दें। ऐसा होने से समाज के होनहार युवकों को विकाश का सुन्दर अवसर मिल सकता है और अपनी. प्रतिभा से वे समाज का उन्नतिशील कार्य करने में समर्थ हो सकते हैं।
. सज्जनों! अब मैं आपका अधिक समय लेना नहीं चाहता। आप विद्वान सभापति महोदय का भाषण सुनने के लिये उत्सुक होंगे। आप सभापति महोदय की ख्याति से परिचित है। आपको मालूम होगा कि इनके विद्वत्ता-पूर्ण ऐतिहासिक तथा पुरातत्व सम्बन्धी अनुसन्धानों के द्वारा आज न केवल जैन-समाज वरन समूचे देश का विद्वान-मण्डल गौरवान्वित हो रहा है। आपने जैन इतिहास के सम्बन्ध में अनेक बहुमूल्य
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