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________________ [ २४ ] हानिकारक है, इसलिये अनुरोध करता है कि ऐसे विवाह बन्द किये जाय और जहां ऐसा विवाह हो, उस विवाह के बर पक्ष तथा कन्या पक्ष दोनों के उस विवाह सम्बन्धी किसी भी काम काज में सम्मिलित न हों। आगरा-निवासी बाबू रामचन्द्रजी लुंकड़ ने यह प्रस्ताव रखा और भाषण देते हुए कहा कि बृटिश राज्य में शारदा एकृ जारी होने से प्रस्ताव का पहिला भाग तो सब सजनों को मालूम ही है। देशी राज्यों में जहां यह कानून नहीं है वहां भी ओसवाल भाइयों को इसके अनुसार ही अपने लड़के लड़कियों कि शादी करनी चाहिये। वालविवाह के भयङ्कर परिणाम को कौन नहीं जानता। वाल्य अवस्था ब्रह्मचर्य पालन करने का है। इस काल में बालक बालिकाओं को ब्रह्मचर्य व्रत धारण करते हुए विद्योपार्जन करना चाहिये जिससे कि वे अपने भविष्य को उज्ज्वल और कार्य कुशल बना सकें। शारदा एक की मर्यादा तो कम से कम है। दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश में ब्रह्मचर्य का महत्व आजकल लोग भूल गये हैं और इस कारण ही परतन्त्रता की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। इस प्रस्ताव द्वारा हम ओसवाल समाज को चैतन्य करते हैं कि वह ब्रह्मचर्य को महत्ता को समझें और कोई भी स्त्री पुरुष बालविवाह करा कर अपनी सन्तान के घातक न बने। _ आज कल अपने समाजमें विधवाओं को बढ़ती हुई संख्या को जो हम लोग देखते हैं उसका मूल कारण बालविवाह तथा उतना ही भयंकर वृद्ध विवाह है। ४० वर्ष की उम्र में जब पुद्गल शिथिल हो जाते हैं तो किसी को यह हक नहीं है कि अपने स्वार्थ साधन के लिये वह किसी कन्या का जीवन नष्ट करे। दिन प्रति दिन हम अनुभव से देखते हैं कि बाल विवाह और वृद्ध विवाह ही हमारी गरीब घालाओं के वैधव्य का कारण है। मैं समाज से पूर्ण रूपसे अनुरोध करता हूं कि वह इस प्रस्ताव को स्वीकृत कर कार्यरूप में परिणत करे इस से अवश्यमेव हमारी सन्तान वीर, बुद्धिमान, सुदृढ़, साहसी होगी और जीवन संग्राम में कार्य कुशलता का परिचय देगी। एक स्त्री के होते हुए दूसरी शादी करना धर्म विरुद्ध तथा क्लेशमय है अतः यह प्रथा बन्द होनी चाहिये।। दुर्ग ( सी० पी० ) निवासी बाबू हंसराजजी देशलहरा ने प्रस्ताव पर प्रकाश डालते हुए इसका अनुमोदन किया। पश्चात् कुकडेश्वर-निवासी बाबू किशनलालजी पटवा ने इस प्रस्ताव को समर्थन करते हुए कहा कि पुराने समय में माता पिता अपनी सन्तान को तरुण अवस्था तक ब्रह्मवयं पालन करा कर विद्या अध्ययन कराते थे परन्तु आज कल यह अभिलाषा रहती है कि लडके की शादी होकर कब घरमें जल्दी बह आवे। शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक शक्ति क्षीण होने के अतिरिक्त लडके अपने वैवाहिक जिम्मेवारियों को भी नहीं समझ सकते और रोटी कमाने के काबिल न रहने के कारण उनका दाम्पत्य जीवन हमेशा के लिये कष्टमय हो जाता है। एक पत्नी रहते हुए दूसरा विवाह करना सर्वथा अनुचित समाज ने बताया सचमुच ही ऐसा करना स्त्री वर्ग की ओर भारी अन्याय करना है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034568
Book TitleOswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Sahab Krushnalal Bafna
PublisherRai Sahab Krushnalal Bafna
Publication Year1933
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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