SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ १० ] ट्रेन के पहुंचते ही पुष्पवर्षा और भगवान महावीर की जय', 'ओसवाल जाति की जय' इत्यादि उच्चध्वनि से नभोमंडल गूंज उठा। जिस समय सभापतिजो स्टेशन के प्लेटफार्म पर उतरे उस समय उनको ज्वर था तो भी वे प्रसन्न-मुख थे। उनको तथा उनके साथ के सजनों को फूलों के हार पहिनाये गये। सबने जुलूस निकालने का आग्रह किया परन्तु आपने इसकी स्वीकृति नहीं दो। पश्चात् स्टेशन के मैदान में सभापतिजी ने स्वयंसेवकों तथा विद्यालय के छात्रों का निरीक्षण किया। उन लोगों ने भी सभापतिजी का सम्मानसूचक स्वागत किया। इसके बाद चार घोड़ों की सवारी में बैठकर सभापतिजी 'ब्लू केसल' बंगले में पधारे। बाहर से आये हुए प्रतिनिधि, दर्शक आदि अन्यान्य सजनों के ठहराने की और भोजनादि की कई स्थानों में योग्य व्यवस्था की गई थी। राय साहेब कृष्णलालजो बाफणा साहेब की देखरेख में पंडाल भी बहुत चित्ताकर्षक तैयार हुआ था। उसके मुख्य द्वार से प्रवेश करते समय दाहिनी ओर एन्क्वे री आफिस और बांई ओर टिकट घर बना हुआ था। दूसरे द्वार से प्रवेश करने पर बांई ओर दर्शक, प्रतिनिधि और निमन्त्रित लोगों को गैलरियां क्रमशः बनो हुई थो। दाहिनी ओर दर्शक, प्रतिनिधि और महिलाओं के लिये स्थान था। बोचमें वक्ताओं के लिये प्लैटफार्म बना हुआ था। सभापतिजी के लिये सोने चांदी के काम की कुसी मंच के बीच में सुशोभित थी और उसके दोनों तरफ दो और चांदी की कुर्सियां सजी हुई थी। पंडाल के बाहर दर्शकों के विश्राम के लिये तथा खाने पीने की सुविधा के लिये बड़े २ कैम्प और डेरे लगे हुए थे और दुकानें भी थीं। पंडाल के भीतर और बाहर का दृश्य सुन्दर था। ___पंडाल के बाहर प्रदर्शनी भी सजाई गयी थी। इसमें राजपुताना में उत्पन्न होनेवाले खनिज वानस्पतिक आदि प्राकृतिक पदार्थ तथा खेतों में पैदा होनेवाले नाना प्रकार के द्रव्य और यहां को कारीगरो के नमूने रखे हुए थे। इनके अतिरिक्त प्रदर्शनी में, बच्चों को प्रारम्भिक शिक्षा सुगमता से प्राप्त करने के साधन एकत्रित किये गये थे। इन विषयों के विशेषज्ञ श्रीयुत् बाबू चतुर्भुजजी गैलोत, डी० डो० आर०, एम० एल० एस. आदि तथा श्रीयुत बाबू नारायण प्रसादजी मैठ, बी० एस० सो० इन वस्तुओं को बड़ी खूबी से समझाते थे और दर्शक लोग भी उन्हें बड़ी दिलचस्पो के साथ देखते थे। पहिले दिन की बैठक कार्यक्रम के अनुसार प्रथम दिवस के अधिवेशन का कार्य दिन १ बजे से आरम्भ हुआ। पंडाल में प्रतिनिधि, दर्शक, मेहमान तथा महिलाओं की उपस्थिति अच्छी संख्या में थी। मंच पर बैठे हुए विशिष्ट लोगों में सभापतिजो के परिचित दिवान बहादुर हरविलासजो सारदा एम० एल० ए० तथा महामहोपाध्याय राय बहादुर पं० गौरीशंकर ओझाजी के नाम विशेष उल्लेखनीय है। बालकोंके मङ्गल गान के पश्चात् स्वागताध्यक्ष सेठ राजमलजी ललवाणी ने अपना मधुर भाषण ( परिशिष्ठ-क) पढ़ा। आपका भाषण छोटा था परन्तु रोचक और समयानुकूल था। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034568
Book TitleOswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Sahab Krushnalal Bafna
PublisherRai Sahab Krushnalal Bafna
Publication Year1933
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy