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कार्यवाही में भाग लेंगे। दुर्भाग्यवश ताः ६-१०-३२ को सभापतिजो की पुत्रवधू के देहान्त होने का समाचार मिला । परन्तु इसकी कोई परवाह न कर वे अपने कर्त्तव्य-पालन पर अटल रहे लेकिन यहीं पर ही सभापति महोदय को अग्नि-परीक्षा को इतिश्री नहीं हुई। तीसरे ही दिन तार से समाचार मिला कि वे स्वयं इनफ्लुन्जा रोग से ग्रसित हो गये हैं और उनका अजमेर के लिये प्रस्थान करना कठिन है। इधर सम्मेलन में भाग लेनेवाले सजन तथा स्वयंसेवक बाहर से पधारने लगे थे। ऐसो दशा में स्वागत समिति तथा उपसमिति के कार्यकर्तागण बड़ी असमंजस में पड़े। अब प्रश्न यह उठा कि या तो सम्मेलन का अधिवेशन कुछ दिनों के लिये स्थगित कर दिया जाय या उसके संचालन का कोई और प्रबन्ध किया जाय। लेकिन प्रथम अधिवेशन में ही इस तरह किसी भी प्रकार से काम चलाना संतोषप्रद नहीं जंचा। अन्त में यह निश्चय हुआ कि सम्मेलन को स्थगित रखना किसी भी प्रकार उचित नहीं होगा। ऐसा करने से लोग अकारण ही नाना प्रकार को कल्पना करने लगेंगे। इस कारण सभापतिजी के पास इस आशय का तार भेजा जाय कि बाहर से प्रतिनिधियों का आना प्रारम्भ हो गया है। इस कारण अधिवेशन को स्थगित रखना संभव नहीं है। आप अपने सुपुत्र अथवा और किसी योग्य सज्जन के साथ अपना भाषण भेजकर कार्यारम्भ होने दें और दो एक दिनों में स्वस्थ्य होने पर आप स्वयं पधारें।
लेकिन यहां तो सभापतिजो के हृदय में समाज-सेवा और कर्त्तव्य पालन की प्रबल लहर उठ रहो थी। तार पाते ही आपने निश्चय कर लिया कि किसी भी हालत में अब नहीं रुकेंगे और बोमार रहते हुए भी ताः १३-१०-३२ को लम्बो सफर के लिये कमर कस कर अजमेर के लिये पंजाब मेल से रवाना हो गये। साथ में उनके पुत्र बाबू विजयसिंहजी नाहर बी० ए०, बिहार-निवासी उनके दौहित्र बाबू इन्द्रचन्दजो सुचंती बी० ए० एल० एल० बी० एडवोकेट हाईकोर्ट तथा आगरा-निवासी देशभक्त बाबू चांदमलजी जौहरी बो० ए० एल० एल० बो० वकील हाईकोर्ट थे। रास्ते में कानपुर, आगरा तथा किशनगढ़ के भाइयों ने अपने अपने स्टेशनों पर अच्छी संख्या में उपस्थित होकर पुष्पवृष्टि के द्वारा सभापतिजी का प्रेमपूर्ण स्वागत किया। ताः १५ अक्टूबर को प्रातः साढ़े सात बजे के समय अजमेर स्टेशन पर गाड़ो जा लगो। स्वागत के लिये वहां पहले से ही बहुसंख्यक लोग उपस्थित थे। उन में कुछ विशेष नाम इस प्रकार है :
सेठ कानमलजी लोढा, सेठ रामलालजी लूणिया, बाबू गुलाबचन्दजी ढड्डा एम० ए०, सेठ हीराचन्दजी सुचतो, सेठ फूलचन्दजी झावक, बाबू पूरणचन्दजी सामसुखा, बाबू कुन्ननमलजी फिरोदिया वकील, सेठ इन्द्रमलजी लूणिया, बाबू दयालचन्दजी जौहरी, सेठ सोभागमलजो मेहता, बाबू अमरचन्दजी कोचर, सेठ सुगनचन्दजी धामन गाम वाले, स्वागताध्यक्ष सेठ राजमलजी ललवाणी, राय साहेब कृष्णलालजी वाफणा, बाबू सुगनचंदजी नाहर तथा बाबू अक्षयसिंहजी डांगी-मन्त्री सम्मेलन ।
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