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________________ ( २७ ) करना था और भी कई ऐसी बातें हैं कि जिनका पक्लिक में प्रकाशित करना हम उचित नहीं समझते हैं। ___ सागरजी और आपके खुशामदिये भक्त भले ही छापों में लम्बी चौड़ी हांक दें पर नागौर और आस पास के लोग सागरजी की काली करतूतों से अब इतने अज्ञात नहीं हैं कि सागरजी ने नागौर में आकर जैनजगत में राग द्वेष बढ़ाने के अलावा कुछ भी किया हो ? और नागौर के खरतरों की उदारता को भी लोग अच्छी तरह से जान गये हैं। बाहर से आये हुओं की प्रभावना तो लेले कर खरतरे घर में रखदी पर उनकी मार संभार भी किसी ने की है। एक नाम मात्र का चौका खोल कर नाम कर दिया पर उसमें चन्द व्यक्ति बाहर के और नागौर के खरतरों के अलावा जीमने वाले कितने थे। कई लोग लोड़ा जी के यहां तो कई बोथरा बोत्थराजी के वहां फिर भी शर्म की बात है कि अखबारों और पत्रिका में लम्बी चौड़ी हांकना। ___भले कई अज्ञानी लोग अखबार या पत्रिका पढ़कर भ्रम में पड़ ही जावेंगे पर यह हवाई किले की स्थिति कहां तक। जब वे लोग सत्य हकीकत जान जायगे तब झूठ की कीमत वे स्वयं ही कर सकेंगे। __आम नागोर की जनता उस बात को स्मरण कर रही है कि एक वही जैन साधु था कि स्टेशन के जैन मन्दिर की प्रतिष्टा के समय क्या श्वेताम्बर क्या दिगम्बर क्या स्थानकवासी और क्या जैनेत्तर लोगों को अर्थात् नागोर भर को अपनी ओर आकर्षित कर लिया था और एक यह भी जैन साधु कहलाते हैं कि मूर्ति पूजक तो क्या पर खास खरतर खरतर में केश पैदा करने में नहीं चूके हैं । हम लोग तो ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि चौमासा को Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ___www.umaragyanbhandar.com
SR No.034563
Book TitleNagor Ke Vartaman Aur Khartaro Ka Anyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktisagar
PublisherMuktisagar
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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