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३-४ दफ्तारियों के मुहल्ले में आदीश्वरजी के दो मन्दिर सुरांणागच्छ के सुरांणों के बनाये हुये हैं।
५- घोड़ावतों की पोल में शान्तिनाथजी का मन्दिर तपागच्छीय घोड़ावतों का बनाया कहा जाता है ।
६ -- बख्तसागर पर श्री सुमतिनाथ का मन्दिर खरतरगच्छीय यति रूपचन्दजी का बनाया हुआ है। जहां खरतर दादाजी के पादुका भी हैं ।
७ - स्टेशन पर श्री चन्द्रप्रभ भगवान का मन्दिर उपकेशगच्छीय श्रीमान् समदड़िजी का बनाया हुआ है ।
८ - श्रसवालों की बगीची में प्रभु आदिनाथ के पादुका हैं। शहर के मन्दिरों की देख रेख के लिये श्री संघ की ओर से एक कमेटी बनी हुई है । मन्दिरों का सब काम कमेटी के जरिये चलता है । कमेटी के अंडर में एक मुनीम भी रहता है तव मन्दिरों की व्यवस्था अच्छी है ।
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दादावाड़ियों
१ - कवलागच्छ की दादावाड़ी जो बख्तसागर पर पुराने जमाने की हैं।
२ - खरतरगच्छ की दादावाड़ी में खरतराचायों के पादुका हैं।
३ – पायचन्द गच्छ की दादावाड़ी में पार्श्वचन्द सूरि के पगलिया हैं ।
४ - सुराणों की बगीची में धर्मघोष सूरि के पगलिया हैं। ५ - समदड़ियों की बगीची में आचार्य रत्नप्रभ सूरि के पादुका हैं।
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