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मित्रों के साथ प्रस्थान करने को तैयार हुये, साथ ही श्राज और भी गांव के लोगों की भीड़ भेड़ों की तरह बढ़ उठी । सब के सव चल दिये और थोड़े ही समय में वहां पहुँच गये जहां महान् विद्वान् सर्व शास्त्रपरिज्ञाता योगीराज दादा दीनबन्धुजी थे । सबने दादाजी को सप्रेम प्रणाम किया और दादाजी ने भी - सभी को उचित सत्कार के साथ बैठने को कहा:
कुछ समय के बाद दादाजी ने काका कालूराम से पूछा 'कि - कहोजी काकाजी श्राज आपके वे मित्र भी श्रागये । -कालूराम क्रमशः अपने मित्रों का परिचय इस तरह कराया
पहले आर्य छज्जूरामजी शास्त्री की तरफ देखकर महा- राज, आप आर्य समाज के प्रेसीडेन्ट है और प्रकाण्ड - पण्डित हैं, आपकी दलीलें मशहूर है और श्रापका शुभ नाम श्रीमान् छज्जूरामजी शास्त्री है । आप एक प्रसिद्ध आर्य समाजी हैं 'और स्वामी दयानन्द सरस्वतीजी के बातों में आपको पूर्ण श्रद्धा है, एवं आप में सत्यार्थ प्रकाश की सभी बातें कूट कूट - कर भरी हैं ।
फिर मुसलमान मित्र की तरफ देखकर - श्रापका नाम मौलाना अब्दुल हुसेन है। आपने कुरान शरीफ में अच्छी तालिम हासिल किया है और आप अपने मज्भब के एक पक्क -फकीर हैं ।
फिर इसाई मित्र की तरफ इशारा करके - महाराज आप - का नाम हजरत मूसा मसीह है। आपको बाइबिल का अच्छा ज्ञान है | आप एक मशहूर पादरी हैं और आपको बाहरी ज्ञान भी काफी है।
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