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पधारे थे तो श्री ज्ञानवृद्धि जैन पाठशाला तथा श्रीमहावीर मण्डल की स्थापना हुई थी । पुनः खजवाने, रूण और फलोधी होते हुए मेड़ते में श्रीमान स्व. बहादुरमलजी गधैया के अनुरोध से आपने वहाँ सार्वजनिक लेकचर दिया था, जो सारगर्भित तथा सामयिक था । पुनः आप फलोधी पधारे। विक्रम संवत् १९८२ का चातुर्मास ( फलोधी )।
आपश्री का उन्नीसवाँ चातुर्मास मेड़ता रोड फलोधी तीर्थपर द्वमा । इस वर्ष से चरित नायक का ध्यान इतिहास की ओर विशेष प्राकर्षित हुमा। आप का विचार "जैन जाति महोदय" नामक बड़े ग्रंथ को ग्रथित करने का हुआ। अतएव आपने इसी वर्ष से सामग्री जुटाने के लिये विशेष प्रयत्न प्रारम्भ करदिया । इसी दिनसे प्रतिदिन
आपश्री ऐतिहासिक अनुसन्धान में व्यस्त रहते हैं। आपने खजवाना, नागोर, बीकानेर और फलोधी के प्राचीन ज्ञान भंडारों कि सामग्री को देखा । जो जो सामग्री आप को दृष्टिगोचर हुई आपने नोट करली। वही सामग्री सिलसिलेवार जैन जाति महोदय प्रथम खण्ड के रूप में पाठकों के सामने रखी गई है । महाराजश्रीने ऐतिहासिक खोज प्रारम्भ कर के हमारी समाजपर असीम उपकार किया है।
इस वर्ष निम्नलिखित साहित्य प्रकाशित हुआ—
१००० दानवीर झगडूशाहा ( कवित्त )। १००० शुभ मुहूर्त शकुनावली । १००. नौपद अनुपूर्वी ।
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