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कालू से बिहार कर भाप लाम्बिया, कैकीन हो अजमेर होते हुए ब्यावर पधारे । वहाँ से बिहार करते करते मापने निम्न लिखित प्राम और नगरों में पधार कर धर्मोपदेश दिया:-रायपुर, झूटा, पपिनिया, चंडावल, सोजत, पाली, पीपाड़, नागोर और बीकानेर। विक्रम सं. १९६८ का चातुर्मास (बीकानेर)।
इस वर्ष आपश्री का चातुर्मास दूसरी बार बीकानेर में हुमा। यहाँ पापका यह पाँचवा चातुर्मास था। स्वामी शोभालालजी के भाप साथ थे। आपका ज्ञानाध्ययन निरन्तर चालू था। यह एक स्वाभाविक नियम है कि जिस व्यक्ति की धुन एक बार किसी काम में सोलह पाना लगजाती है फिर वह यदि पुरुषार्थी है तो उस कार्यको पूरा करके छोड़ता है इस बार भी प्रापका ज्ञानाभ्यास का क्रम पहले की भांति असाधारण ही था। स्वामीजी की सेवा भक्ति करते हुए मापने १०० थोक तत्वज्ञान के याद करने के साथ ही साथ श्री भगवतीजी सूत्र, पन्नवणा सूत्र, जीवाभिगम सूत्र, अनुयोग द्वार सूत्र और नंदीसूत्र की मापने वांचना की। भाप सदा ज्ञान प्राप्ति में ही आनंद मानते रहे हैं तथा मापने अपने जीवन का एक उ. देश बान. ग्रहण तथा ज्ञान प्रचार करना रक्खा है । इस में भाप भी को वांछनीय सफलता भी मिली है । ... इस वर्ष आपने चातुर्मास में इस प्रकार तपस्या की-पंचोला
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