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मारवाड़ का इतिहास
वि० सं० १८४४ ( ई० स० १७८७ ) में, जयपुर - नरेश प्रताप सिंहजी की सहायतार्थ किए, मरहटों की सेना के साथ के, तुंगा के पास के युद्ध में मारे गए महाराजा विजयसिंहजी के कुछ वीरों के नाम:--
गजा-मांगलिया, रायसिंह राठोड़ ( हिन्दूसिंहोत ), हररूप - राठोड़ ( नथावड़ी ), दलेलसिंह राठोड़ (ढावा ), उदैसिंह - राठोड़ ( इमाणी), दलेल सिंह - राटोड़ ( संगराम सिंहोत ), शिवसिंह राठोड़ (गैनसिंहोत ), नाथूसिंह - राठोड़ ( घोड़ावड़ ), नवलसिंह राठोड़ (रायण ), जीवनसिंह-मेड़तिया ( मारोठ ), बखतावरसिंह-मेड़तिया ( जवान सिंहोत ), बगता ( बलूंदे ठाकुर का धाय भाई), सुरतान सिंह (बडू ), लालसिंह (सेढाउ ), मोहब्बतसिंह ( बोड़ावड़ ), नवलसिंह चांदावत ( छापरी ), शेरसिंह - चांदावत ( सेजां की बासणी ), साहबसिंह - चांदावत ( जूंझार सिंहोत ) जवान सिंह - ऊदावत ( बनैसिहोत), मालमसिंह ( डूंमाणी ), लालसिंह शेखावत, सेवा - फिटक । उपर्युक्त युद्ध में मरहटों के भागने पर उनका पीछा करते समय सरवाड़ में मारे गए महाराजा के कुछ वीरों के नाम: ---
सुंदरसिंह - चांदावत ( भोलादण ) ।
वि० सं० १८४७ (ई० स० १७६० ) में, माधोजी सिंधिया, तुकोजी और डी. बोइने के साथ के, मेड़ते के पास के युद्ध में मारे गए महाराजा के कुछ योद्धाओं के
नाम:--
कनीराम - माधोदासोत ( चांदारूण ), नरसिंहदास ( ईडवा ), फ़कीरदास( श्रालणियावास ), बिशन सिंह - मेड़तिया ( चाणोद ), अजीत सिंह -मेड़तिया ( जवान सिंहोत ), जसवन्तसिंह ( बोयल ), जालिम सिंह - जोधा ( पाटोदी ), जालिम सिंह - शेखावत ( बलाडा ), मालमसिंह ( नाहडसर ), भारथसिंह (सुदणी ), जगतसिंह-चांपावत (पाली ), बदन सिंह ( बोरूंदा ), सूरजमल ( बोरूंदा), पहाड़सिंह भाटी ( बीकूंकोर ), सरदारसिंह- चांदावत ( चौकड़ी ), मानसिंह-चांदावत ( दुदड़ावास ), सूरजमल सिंघी, चांदखाँ ।
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