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मारवाड़ का इतिहास
शेरसिंह-मेड़तिया ( रीयां ), सूरजमल-मेड़तिया ( भालणियावास ), डूंगरसिंह
मेड़तिया ( बिखरणिया ), श्यामसिंह-मेड़तिया (बलूँदा ), सगतसिंहमेड़तिया . मीठड़ी ) सुरतानसिंह-मेड़तिया ( सेवरिया ), अनोपसिंह-जोधा ( देघांणा ), बखतसिंह-जैतावत ( सारंगवास ), सुजाणसिंह-कोठारी ( रीयां)।
इसी युद्ध में मारे गए राजाधिराज बखतसिंहजी के कुछ वीरों के नामः
कुशल सिंह-चांपावत ( आउवा )।
वि० सं० १८०८ के वैशाख ( ई० स० १७५१ के अप्रेल ) में, राजाधिराज के साथ के, सालावास के युद्ध में मारे गए महाराजा रामसिह जी के कुछ वीरों के नामः--
जालमसिंह-मेड़तिया ( कुचामन ), चैनसिंह-मेड़तिया ( जालमसिंहोत ),
सुरतांनसिंह-मेड़तिया ( जालमसिंहोत ), बखतसिंह-राठोड़ (इन्दरसिंहोत ) ( मारोठ ), बैरीसाल-राठोड़ (इन्दरसिंहोत ), देवीसिंह राठोड़ (शम्भूसिंहोत ), दुर्जनसिंह-राठोड़ (शम्भूसिंहोत ) ( पांचोता ), भवानीसिंह(सांवतसिंहोत)।
३०. महाराजा विजयसिंहजी। वि० सं० १८११ की आश्विन वदि १३ । ई० स० १७५४ की १४ सितंबर) के, जयापा के साथ के, गंगारड़े के युद्ध में मारे गए महाराजा विजयसिंहजी के कुछ वीरों के नामः--
मोतीसिंह मेड़तिया ( मारोठ ), रामसिंह-मेड़तिया (खूणवा ), सूरसिंह-मेड़तिया
( लूणवा ) जूंझारसिंह-मेड़तिया-( खारिया ), पेमसिंह-चांपावत (पाली), जैतसिंह-चांपावत ( मांडावास ), लालसिंह-चांपावत (सहसमलोत ), अर्जुनसिंह-चांपावत (सूरतसिंहोत ), मोहकमसिंह-चांपावत ( सरवाड़ ), बहादुरसिंह-चांपावत (खाटू), सवाईसिंह-चांपावत (मैसूवास ),
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