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मारवाड़ का इतिहास
रजिस्ट्रेशन। वि० सं० १९९१ ( ई० स० १९३४ ) में नया 'मारवाड़ रजिस्ट्रेशन कानून' पास हुआ और वि० सं० १९१२ के पौष ( ई० सं० १९३६ की जनवरी ) से उन जागीरदारों को, जिन्हें अदालती इखतियारात मिले हुए हैं जोधपुर गवर्नमेन्ट के साधारण 'स्टाम्पों' ( Non Judicial Stamps ) को लागत कीमत पर खरीद कर, अपनी जागीर की रियाया की आवश्यकताओं के लिये, पूरी कीमत ( Face Value ) पर बेचने का अधिकार दिया गया।
पशुवर्धन ( Animal Husbandry ) विभाग । वि० सं० १९१२ ( ई० स० १९३५ ) से, जोधपुर-दरबार ने मारवाड़ के दूध देनेवाले और खेती के उपयोग में आनेवाले पशुओं की नसल सुधारने और उनमें होनेवाले रोगों को निवारण करने के लिये इस महकमे की स्थापना की थी। इसके द्वारा मारवाड़ जैसे कृषि-प्रधान देश के गोधन की उन्नति की पूरी आशा है ।
मारवाड़ सोल्जर्स बोर्ड। यह बोर्ड राजपूताना प्रोविंशियल बोर्ड से संबद्ध है । ई० सन् १९१९ में वर्तमान और भूतपूर्व सैनिकों की और उनके कुटुम्बियों की सहायता के लिये इसकी स्थापना की गई थी।
इसके कार्य की प्रशंसा स्वयं राजपूताना के रेजीडेंट ने, जो 'राजपूताना इंडियन सोल्जर्स बोर्ड' का सभापति है, की थी।
वॉल्टर राजपूत-हितकारिणी सभा । इस सभा की स्थापना, ई० सन् १८८८ में, उस समय के राजपूताना के ए. जी. जी.-कर्नल वॉल्टर की अध्यक्षता में अजमेर में की गई थी और इसका उद्देश्य राजपूतों और चारणों के यहां की शादी और यमी में होनेवाले खर्चों में कमी करना है । जोधपुर की वॉल्टर सभा भी उसी उपर्युक्त सभा की एक शाखा है और राजपूतों तथा चारणों की शादी-गमी के खर्चों और लड़के-लड़कियों की विवाहोचित आयु आदि का नियमन करती है।
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