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मारवाड़ का इतिहास
भारत से सेशल्स (Seychelles ) द्वीप तक की यह सामुद्रिक यात्रा बड़ी सुहावनी रही, और वहां पर आपने अपने सहचरों सहित किनारे पर उतर उस स्नानोपयोगी सुन्दर समुद्र-तटवाले ऊर्वर द्वीप के अनेक छाया-चित्र लिए। कुछ घंटों के विश्राम के बाद आपका जहाज अवशिष्ट यात्रा के लिये फिर आगे बढ़ा और उसके मोम्बासा (Mombasa) पहुँचने पर वहां के प्रान्तीय कमिश्नर ने केनिया के गवर्नर के प्रतिनिधिरूप से आपका स्वागत किया। साथ ही सर जॉफरी आर्चर तथा मिस्टर निकोल भी वहां आकर उपस्थित हुए। इसके बाद महाराजा साहब अपने सब अनुयायियों को लेकर किलिण्डिनी (Kilindini) के बन्दरगाह के क़रीब बने मिस्टर निकोल के सुन्दर भवन में पहुँचे और उसका आतिथ्य स्वीकार किया । इससे निवृत्त होने पर मिस्टर निकोल ने सब को मोम्बासा की सैर करवाई और महाराजा साहब को अपने हवाई जहाज में बिठाकर उक्त नगर का ऊपरी दृश्य दिखलाया ।
अन्त में महाराजा साहब के स्थानीय गवर्नर का प्रातिथ्य ग्रहण कर लेने पर आपका दल, वहां के समुद्र तल से रवाना होकर कई हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित नैरोबी को जानेवाली रेलगाड़ी से रवाना हुआ और शाम के बाद अपने गन्तव्य स्थान माउंगू (Maungu) पर, जो एक छोटासा स्टेशन है, पहुँच गया ।
यह स्थान बौई (Voi) प्रान्त में है, जो घने जंगलवाला होने से अपने हाथियों के लिये प्रसिद्ध है । यहां के जंगल में विशाल वृक्ष न होकर कांटोंवाली झाड़ियों की अधिकता है । इसी से वहां पर चलना-फिरना कठिन हो जाता है । इस स्थान पर पहले से ही सुखद ख़मों का प्रबन्ध कर दिया गया था । इसलिये रात भर विश्राम कर लेने के बाद प्रातःकाल के पूर्व ही महाराजा साहब एफ्रिका के सब से बड़े शिकार - . हाथी की खोज में रवाना हो गए ।
इस यात्रा में कप्तान टि० मरे स्मिथ (T. Murray Smith) सहायक - शिकारी (Chief hunter) नियुक्त किया गया था और उसकी सहायता के लिये तीन अन्य शिकारी भी रक्खे गए थे । इसी से मरे स्मिथ और एक अन्य शिकारी महाराजा साहब के साथ और दो शिकारी महाराज अजितसिंहजी के साथ रहते थे। हाथी का शिकार दलबद्ध होकर नहीं किया जा सकता । इसी से महाराजा साहब को एक दिशा में
१. मिस्टर निकोल का पिता भी उन मुख्य पुरुषों में से एक था, जिन्होंने ब्रिटिश ईस्ट एफ्रिका के नाम से सम्बोधित होने वाले इस भूभाग का द्वार मुक्त किया था ।
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