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महाराजा उंमेदसिंहजी वि० सं० १९८६ की वैशाख वदि ४ ( २४ अप्रेल) को स्वर्गवासी महाराजा सुमेरसिंहजी साहब की कन्या श्री किशोरकुँवरी बाईजी साहबा का विवाह जयपुर-नरेश महाराजा मानसिंहजी' के साथ हुआ । इस शुभ अवसर पर काश्मीर, बीकानेर, कोटा, अलवर, डूंगरपुर, किशनगढ़, नवानगर, पन्ना, चरखारी और नरसिंहगढ़ के नरेशों और बीकानेर और कोटा के महाराज-कुमारों ने उपस्थित होकर उत्सव में भाग लिया।
आषाढ सुदि ६ (६ जुलाई) को कुंवर महाराजसिंह, 'वाइस प्रेसीडैन्ट स्टेटकाउंसिल' भारत सरकार का 'एजेन्ट' (प्रतिनिधि ) नियत होकर दक्षिणी-ऐफ्रिका चला गया; इस पर मिस्टर यंग (J. W. Young) काउंसिल का अस्थायी वाइस-प्रेसीडेंट बनाया गया।
आश्विन सुदि ५ (४ अक्टोबर ) को महाराजा साहब ने फिर इंगलैंड की यात्रा की और मँगसिर सुदि १ (६ दिसंबर ) को आप वहां से लौट कर आए। ___ आश्विन सुदि १५ (१४ अक्टोबर ) को लॉर्ड विलिंगडन और लेडी विलिंग्डन दोनों का, हवाई जहाज से पूना जाते हुए और कार्तिक वदि ३ (१७ अक्टोबर ) को वहां से दिल्ली लौटते हुए, जोधपुर में आगमन हुआ ।
कार्तिक सुदि ८ (५ नवंबर ) को मिस्टर (J. W. Young) यंग तृतीय गोलमेज सभा (3rd Round Table Conference ) में सम्मिलित होने के लिये इंगलैंड गया और माघ वदि । ( ई० स० १९३३ की २० जनवरी) को वापस लौटा । परन्तु इसवार की सभा में जोधपुर, जयपुर और उदयपुर तीनों रियासतों ने सर पण्डित सुखदेवप्रसाद | काक को अपना मुख्य प्रतिनिधि बनाकर भेजा था।
१. आपकी बरात उसी दिन यहां पहुंची और वैशाख वदि ६ ( २६ अप्रेल ) को वापस लौट
गई। _ वि. सं. १९८८ के आश्विन ( ई. स. १६३१ के अक्टोबर ) और वि० सं० १९८९ के आश्विन (ई. स. १६३२ के सितंबर ) के बीच महाराजा साहब ने जालोर, नागोर, सांचोर, बाली देसूरी आदि मारवाड़ के प्रान्तों का दौरा किया ।
२. ( इसके बाद यह सर ( Knight) की उपाधि से भूषित किया गया था।) आश्विन सुदि १ (१ अक्टोबर ) को महाराजा साहब ने सकुटुम्ब ओ.सयां की यात्रा की।
पौष सुदि ७ (ई. स. १६३३ की ३ जनवरी) को आलोप-टाकुर फतेसिंह को 'रामबहादुर' का खिताब मिला।
वि० सं० १६६. की चैत्र सुदि १४ ( अप्रेल ) को महाराजा साहब मातमपुरसी के लिये जामनगर गए।
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