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भारवाड़ का इतिहास थी । इस यात्रा में महाराज अजितसिंहजी और जोधपुर की 'पोलो-पार्टी' भी आपके साथ थी । वहां पर सम्राट पंचम जार्ज से मिलने पर उन्होंने आपका अच्छा स्वागत किया और इस यात्रा में आपकी 'पोलो-पार्टी' ने भी कई प्रसिद्ध-प्रसिद्ध 'मैचों में विजय प्राप्त की।
___ महाराजा साहब की इंगलैंड-यात्रा के समय राजकीय 'काउंसिल' का कार्य रात्रो बहादुर सर पंडित सुखदेवप्रसाद काक की अध्यक्षता में होता था ।
वि० सं० १९८२ की ज्येष्ठ सुदि ११ ( ई० स० १९२५ की ३ जून ) को, बादशाह की बैरसगांठ के अवसर पर, गवर्नमैंट ने महाराजा उमेदसिंहजी साहब को के० सी० एस० आइ० की उपाधि से भूषित किया और इसके बाद आषाढ सुदि ४ (२५ जून ) को आपके बादशाह से मिलने पर उन्होंने स्वयं अपने हाथ से आपको उपर्युक्त उपाधि ( के० सी० एस० आइ० ) का पदक पहनाया।
आषाढ वदि ३० ( २१ जून ) को लंदन में ही आपके द्वितीय महाराज-कुमार हिम्मतसिंहजी का जन्म हुआ।
को बम्बई से रवाना हुआ था। वैशाख वदि १ (१० अप्रेल ) को आप मार्सलीज पर
उतरे और वहां से वैशाख वदि ३ ( ११ अप्रेल ) को रेलद्वारा लन्दन पहुँचे । १. लन्दन से लौटने पर आप पोलिटिकल और जुडीशल मैम्बर के पास बैठकर और काउंसिल
की बैठकों में भाग लेकर राज-कार्य का अनुभव प्राप्त करने लगे। २. यह मुलाकात ज्येष्ठ वदि १४ ( २१ मई ) को हुई थी और महाराजा साहब सम्राट् द्वारा
निमंत्रित होकर दरबार में गए थे । इसी मास ( मई ) में जोधपुर की 'पोलोटीम' ने इंगलैंड में 'माइन हैड ओपन कप (Mine Head Open Cup) जीता।
३. ज्येष्ठ सुदि ११ (३ जून ) को बादशाह की बरसगांठ के अवसर पर राजपूत-स्कूल का
प्रिंसिपल मिस्टर आर० बी० वानवर्ट ( R. B. Van Wart) ओ० बी० ई. बनाया
गया। इस मास में दरबार की 'पोलोटीम' ने लन्दन में 'रोहैम्पटन चैलेंज कप' (Rohempton Challenge Cup) जीता और इसके बाद जुलाई में इसने लन्दन का 'हर्लिंगहम चैम्पियन कप' Hurlingham Champion Cup) भी जीत लिया।
अगस्त में महाराजा साहब की 'पोलोटीम' ने 'रगबी ओपन कप' (Rugby Open Cup) के 'मैच में विजय प्राप्त की। ४. इस अवसर पर किले से १२५ तोपें दागी गई, दफ्तरों में ५ दिन की छुट्टी व जलसे
आदि किए गए।
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