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महाराजा उमेदसिंहजी ( ई० स० १९२३ की १० दिसम्बर ) को राजकीय पुलिस ने, जो ठाकुर कानसिंह, इन्सपैक्टर जोधपुर-पुलिस की अध्यक्षता में, उसका पीछा कर रही थी, उसे उसके तीन अनुयायियों सहित, एक मकान में घेर कर मार डाला। इसके बाद वि० सं० १९८१ के ज्येष्ठ और आषाढ ( ई० स० १९२४ की जून और जुलाई ) तक उसके दल के बचे हुए दो डकैत मोतीसिंह और मानसिंह भी जिंदा पकड़ लिए गए । इससे सारा उपद्रव शान्त हो गया । ___ वि० सं० १९८० की माघ बदि ६ ( ई० स० १९२४ की ३० जनवरी ) को महाराजा साहब की बड़ी बहन (स्वर्गवासी महाराजा सरदारसिंहजी साहब की बड़ी राजकुमारी) श्री मरुधर कुँवरी बाईजी साहबा का शुभ विवाह जयपुर-नरेश महाराजा मानसिंहजी के साथ बड़ी धूम-धाम से हुआ। दोनों ही तरफ़ से बड़ी-बड़ी तैयारियां की गई थीं । इस अवसर पर अलवर और रीवां के नरेशों ने भी जोधपुर आकर उत्सव में भाग लिया।
माघ सुदि १३ ( १८ फरवरी ) से फागुन सुदि ४ ( १ मार्च ) तक महाराजा साहब ने, प्रजाजनों की अवस्था जानने के लिये, मारवाड़ में दौरा किया। . १. इस कार्य तत्परता और वीरता के लिये ठाकुर कानसिंह सुपरिन्टैन्डैन्ट-पुलिस बना दिया
गया। २. चैत्र बदि ३ (ई. स. १६२४ की २३ मार्च) को महाराजा साहब अपनी माता
सीसोदनीजी साहबा की अस्वस्थता के कारण उदयपुर जाकर उनसे मिले और छठे दिन
वापस लौट आए। चैत्र बदि १० (३० मार्च ) को ऐल० डब्ल्यू रैनॉल्डस की बदली हो जाने से लैफिटनेंट कर्नल मैकर्सन (A. D. Macpherson, I. A.) जोधपुर का रैजीडैन्ट नियुक्त हुआ।
वि. सं. १६८१ की चैत्र सुदि ८ ( १२ अप्रेल ) को, गरमियों की मौसम आजाने से, महाराजा साहब सकुटुम्ब केटा गए और आषाढ सुदि १० (११ जुलाई ) को वहां से लौट पाए ।
वैशाख बदि १२ (३. अप्रेल ) को रामो बहादुर पंडित ज्वालासहाय मिश्र दो वर्ष के लिये 'चीफ-जज' बनाया गया।
(पहले के 'चीफ-जज' रामओ साहब लक्ष्मीदास सपट का वि० सं० १९८० के कार्तिक (ई. स. १६२३ के नवम्बर ) में देहान्त हो गया था। इस पर दरबार ने, उसकी सेवाओं के उपलक्ष में, उसकी विधवा के लिये १५० रुपये मासिक की आजन्म पैन्शन ( तनख्वाह ) करदी।)
ज्येष्ठ सुदि १ ( ३ जून ) को सम्राट् के जन्म दिवस पर जोधपुर पुलिस के इंसपैक्टर-जनरल मालकम रतनजी कोठावाला (M. B. E.) को 'खाँ बहादुर की' उपाधि और स्कॉटलैंड-मिशन के
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