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________________ मारवाड़ का इतिहास दुआ । इस पर दरबार की तरफ़ से अतिथि के योग्य ही उसका स्वागत किया गयां और कार्तिक सुदि ११ (२२ नवंबर) को महाराजा साहब के सेनापतित्व में रिसाले की परेड का प्रदर्शन हुआ। पौष वदि ८ (ई० स० १९२१ की १ जनवरी) को भारत सरकार ने, यूरोपीय महायुद्ध में दी गई सहायताओं के उपलक्ष में, जोधपुर-दरबार की सलामी की तो बढ़ाकर, अपने राज्य-मारवाड़ में, सदा के लिये १७ से १६ करदी। माघ सुदि १ (८ फरवरी) को जब ड्यूक ऑफ़ कनाट (Duke of Connaught ) ने दिल्ली में नरेन्द्र-मंडल (Chamber of Princes ) का उद्घाटन किया, तब महाराजा साहब भी वहां जाकर उक्त मण्डल में सम्मिलित हुए और इसके बाद वहां से अजमेर लौट आएँ। फागुन वदि १३ (७ मार्च ) को जिस समय बाली के किले के कोठार ( Magazine ) से पुराना बारूद खोदकर निकाला जा रहा था, उस समय फर्श के पत्थर और कुदाली के लोहे की रगड़ से आग पैदा होकर बारूद भड़क उठा । इस से करीब ६० मनुष्य हताहत हुए और कोठार के पत्थरों के दूर-दूर तक जाकर गिरने से आस-पास में स्थित कई लोगों को चोटें लैंगी । . .. १. इस उपलक्ष में किए गए राजकीय भोज के बाद वायसराय ने ठाकुर धौंकलसिंह, पं. धर्मनारायण काक और थानवी सांगीदास को उनको मिली उपाधियों के पदक प्रदान किए, तथा रिसालदार मेजर ठाकुर ज़ोरसिंह ( यर्ड लांसर्स ) और मेजर ठाकुर किशोरसिंह (रिटायर्ड स्क्वाड्रन कमांडर ऑफ दि फर्स्ट रैजीमैंट-सरदार रिसाला) को द्वितीय श्रेणी के प्रो. बी. आइ. के पदक दिए। 'वायसराय के लौटे जाने पर महाराजा साहब मी अजमेर चले गए। २. इसी अवसर पर रावराजा हनूतसिंह और रावराजा सगतसिंह को भारतीय सेना में अवैतनिककप्तान के पद प्राप्त हुए, और आगे लिखे सजनों को भिन्न-भिन्न उपाधियां मिलीं: शंकरनरायन पारनायक ( मैडीकल ऑफीसर, इम्पीरियल सर्विस लांसर्स )-गय साहब । ठाकुर उदैसिंह (पांचोटा ) राओ साहब । ३. वि. सं. १६७७ की माघ सुदि १३ (ई० स० १९२१ की २० फरवरी ) को जोधपुर की 'पोलोटीम' ने 'प्रिंस ऑफ वेल्स कमेमोरेशन पोलो टूर्नामेंट' जीता और इसके बाद जून में दुबारा आबू पर के 'पोलो' के 'मैच' में विजय प्राप्त की। इस वर्ष (वि. सं. १६७८) की ग्रीष्म ऋतु महाराजा साहब ने आबू में बिताई और उसकी समाप्ति पर आप अजमेर लौट गए। ४. वि० सं० १९७८ की ज्येष्ठ वदि १३ (ई. स. १९२१ की ४ जून ) को बादशाह ५३८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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