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मारवाड़ का इतिहास
इन्हीं दिनों ( कार्तिक बदि २=२५ अक्टोबर को) महाराजा प्रतापसिंहजी भी युद्धस्थल से लौट कर कुछ दिन के लिये जोधपुर चले आए।
मँगसिर सुदि १ (७ दिसम्बर) को महाराजा सुमेरसिंहजी, विवाह करने के लिये, जामनगर गए । वहीं पर मँगसिर सुदि ३ ( 6 दिसम्बर ' को आपका विवाह वहां के जाम (नरेश ) रणजीतसिंहजी की बहन से ही । इसके बाद फागुन वदि ८ (ई० स० १९१६ की २६ फ़रवरी) को लॉर्ड हार्डिज ने जोधपुर आकर राज्य का पूर्ण-अधिकार महाराजा सुमेरसिंहजी को सौंप दिया । इस पर महाराजा साहब ने 'रीजैसी काउंसिल' के स्थान पर 'स्टेट काउंसिल' की स्थापना की, और रीजेंसी काउंसिल के मैंबरों को ही उसका मैंबर बना दिया। परंतु इसके साथ ही यह आज्ञा भी जारी कर दी कि वे लोग प्रत्येक मामले को, अपनी राय के साथ, महाराजा साहब की मंजूरी के लिये मेजते रहैं और महाराजा प्रतापसिंहजी, लौट कर युद्ध में जाने तक, इन मामलों पर महाराजा साहब की तरफ से अन्तिम आज्ञा देते हैं । इसके बाद
१. उस समय यूरोपीय महा-समर के होने से विवाह के समय विशेष उत्सव नहीं मनाया गया __ था, इसीसे मँगसिर मुदि ७ ( १३ दिसम्बर ) को बरात लौट कर जोधपुर चली आई।
वि० सं० १९७३ की आश्विन वदि ६ (ई० स० १६१६ की २० सितम्बर ) को इस महारानी ( जाडेजीजी) के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ। २. माघ सुदि १ ( ४ फरवरी ) को लॉर्ड हार्डिज ने काशी में हिन्दू-विश्वविद्यालय ( Hindu
University ) के भवन की नींव रक्खी । उस समय महाराजा सुमेरसिंहजी और महाराजा
प्रतापसिंहजी भी वहां जाकर उस उत्सव में सम्मिलित हुए। ३. इस अवसर पर नगर-वासियों ने रात्रि में अपने-अपने घरों पर रौशनी कर अपना हर्ष
प्रकट किया। ४. पौष वदि ११ (ई० स० १९१६ की १ जनवरी) को पण्डित श्यामबिहारी मिश्र को
'राय बहादुर' की उपाधि मिली। ५. आषाढ सुदि ३ (३ जुलाई) को महाराज ज़ालिमसिंहजी ने अपने कार्य से छुट्टी लेली। इस पर सावन सुदि २ (१ अगस्त) से काउंसिल के वाइस प्रेसीडेंट, सीनियर मैंबर, मिलिटरी मेंबर
और पी डब्ल्यू. डी. मैंबर के पद उठा दिए गए। सैनिक विभाग का काम पहले महाराजा साहब के मिलिटरी सेक्रेटरी कैटिन जी. आइ. जी. हैन्सन ( G. I. G Hanson ) के ज़िम्मे हुआ और उसके जाने के बाद रोहट-ठाकुर दलपतसिंह महाराजा का मिलिटरी सैक्रेटरी बनाया गया। पी. डब्ल्यू. डी. मैम्बर का काम 'फाइनेस मैंबर' मेजर पैटर्सन ( 8. B. Patteraon ) को सौंपा गया। इसी प्रकार 'चीफ जज' ए. डी. सी. बार ( A. D. C. Barr ) के चैत्र वदि १३ (३१ मार्च ) को छुट्टी पर जाने, और बाद में गवर्नमेंट की सेवा में लौट जाने से वह कार्य नक्ष्मणदास सपट को दिया गया ।
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