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महाराजा सुमेरसिंहजी दौलतसिंहजी को देकर अपने जीतेजी ही उन्हें ईडर की गद्दी पर बिठा दिया और स्वयं जोधपुर आकर यहां के रीजेंट ( अभिभावक ) का पद ग्रहण किया ।
ज्येष्ठ वदि १२ (२५ मई ) को महाराजा सुमेरसिंहजी विद्याध्ययनार्थ इंगलैंड के लिये रवाना हुए । इस यात्रा में आपके साथ आपका निरीक्षक ( गार्जियन) कैप्टिन् ए. डी. स्ट्रॉंग ( A. D. Strong ) और ठाकुर धौंकलसिंह थे । आपका जहाज ज्येष्ठ वदि १४ (२७ मई) को बंबई से रवाना हुआ था । उसी जहाज़ से महाराजा सर प्रतापसिंहजी भी, जो सम्राट् जॉर्ज पंचम के ए. डी. सी. थे, उनके राज-तिलकोत्सव में सम्मिलित होने को इंगलैंड गए । यह उत्सव आषाढ वदि ११ ( २२ जून ) को हुआ था। इसके समाप्त होने पर महाराजा सुमेरसिंहजी वहीं रहकर वैलिंग्टन कॉलेज में विद्याध्ययन करने लगे और महाराजा प्रतापसिंहजी सावन वदि ३ ( १४ जुलाई) को बंबई लौट आएँ । इसके बाद उन्होंने, वहीं से ईडर जाकर, सावन वदि १० (२१ जुलाई ) को, अपने दत्तक पुत्र महाराजा दौलतसिंहजी का राज्याभिषेक किया । इस प्रकार वहां के कार्य से निपट कर आप तीसरे दिन जोधपुर चले आए और यहां के राज्य - प्रबन्ध का निरीक्षण करने लगे ।
१. यह पद आपने वि० सं० १६६८ की जेष्ठ वदि १० ( ई० स० १६११ की २३ मई ) को ग्रहण किया था । आपकी अध्यक्षता में जो 'रिजैंसी काउंसिल' बनाई गई थी उसके Aai ( सभासदों ) आदि के नाम आगे दिए जाते हैं ।
(१) महाराजा प्रतापसिंहजी - रार्जेंट और प्रेसीडेंट
(२) महाराज ज़ालिमसिंहजी - सीनियर मैम्बर और वाइस प्रेसीडेंट
(३) महाराज फ़तैसिंहजी - मिलिटरी-मैम्बर
(४) राओ बहादुर मंगलसिंह ( पौकरन - ठाकुर ) - पब्लिक वर्क्स मैंबर
(५) मिस्टर जी. बी. गॉइडर ( G B Goyder ) फाइनेन्स - मैंबर
(६) राम बहादुर मुंशी हरनामदास - जुडीशल- मैंबर
(७) पण्डित श्यामबिहारी मिश्र रिवैन्यू - मैम्बर, ( लक्ष्मणदास सपट सैक्रेटरी )
२. वहीं पर ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी ने महाराजा प्रतापसिंहजी को डी. सी. एल. की ( ऑनररी ) उपाधि से भूषित किया ।
३. जोधपुर में भी इस अवसर पर खूब उत्सब मनाया गया और १०१ तोपों की सलामी दाग़ी गई । इसी अवसर पर महाराजा प्रतापसिंहजी को जोधपुर-राज्य के रीर्जेंट रहने तक 'महाराजा बहादुर' की उपाधि और व्यक्तिगत रूप से १७ तोपों की सलामी की इज्ज़त दी गई ।
४. आपकी अनुपस्थिति में आपके कार्य की देख-भाल महाराज ज़ालिमसिंहजी करते रहे थे ।
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