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________________ महाराजा जसवंतसिंहजी (प्रथम) वही आगे लिखता है कि उस सयय यदि जसवंतसिंहजी चाहते, तो शाहजहाँ को कैद से छुड़वा सकते थे। परन्तु समय की गति को देखें उन्होंने वहाँ अधिक ठहरना उचित न समझा । इसलिये कुछ ही देर बाद वह जोधपुर की तरफ रवाना हो गए। शुजा से निपटकर औरंगजेब फ़तहपुर चला आया, और उसने अपने साथ की महाराज की शत्रुता का बदला लेने के लिये वि० सं० १७१६ की माघ सुदी ४ ( ई० सन् १६५६ की १६ जनवरी) को अमीनखाँ मीरबहशी को ( ६,००० सवारों की ) एक सेना देकर जोधपुर पर चढ़ाई करने की आज्ञा दी । साथ ही स्वर्गवासी राव अमरसिंहजी के पुत्र राव रायसिंह को राजा का खिताब, मारवाड़ का राज्य, चार-हजारी जात और चार हज़ार सवारों का मनसब, तथा १,००,००० रुपये और खिलअत आदि देकर उसके साथ कर दिया । इसके बाद वह स्वयं भी अपना आगरे की तरफ़ जाना स्थगित कर अजमेर की तरफ़ चल पड़ी । इसकी सूचना पाकर महाराज ने १०,००० योर्द्धाओं के साथ अपने सेनापति राठोड़ नाहरखाँ को शाही सेना के मुकाबले के लिये आगे रवाना किया । इस पर वह मेड़ते पहुँच शाही सेना की प्रतीक्षा करने लगा । कुछ दिन बाद महाराज ने भी दलबल-सहित जोधपुर से आगे बढ़ बीलाड़ा गाँव में अपना शिविर कायम किया । १. उस समय के इतिहास को देखने से ज्ञात होता है कि उस अवसर पर बड़े-बड़े मुसलमान अमीर औरंगज़ेब से मिल गए थे और शाहजहाँ वृद्धावस्था, बीमारी और शाहज़ादों की उइंडता से किंकर्तव्य विमूढ़ हो रहा था । इसलिये उसको फिर से गद्दी पर बिठाकर झगड़े को शांत करना असंभव था । २. बर्नियर की भारत यात्रा, भा० १, पृ० ८३-८४ । __ ख्यातों में इनका वि० सं० १७१५ की माघ सुदि १० को जोधपुर पहुँचना लिखा है । ३. मासिरे आलमगीरी, पृ० १७ । ४. आलमगीरनामा पृ० २८८ । ५. आलमगीरनामा, पृ० २६२ । ६. किसी-किसी ख्यात में इस अवसर पर ५०,००० योद्धाओं का एकत्रित किया जाना लिखा है। ७. यह आसोप ठाकुर कुंपावत राजसिंह का पुत्र था। २२६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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