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* निवेदन *
पर निवेदन
इस “महावीर जीवन प्रभा " ग्रन्थ की पूर्णाहूति करते हुए आप से निवेदन करता हूँ कि इसको एक बार नहीं अनेक बार मनन पूर्वक पढ़ें, विचारें, परामर्श करें, उत्पन्न शंकाएँ महात्माओं से निवारण करें; और निष्पक्ष बुद्धि से छानबीन कर हंस की तरह मुक्ताफल का भोजन करें. Veerputra Anandsagar.
Kotah-Rajputana
1-3-1943.
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