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* महावीर जीवन प्रभा *
मुआफिक धर्म का आराधन करे; पर सदाचार और सद् विचार रूप धर्म हो.
जनता का यह कहना किसी अंश में सत्य है कि प्रतिबंधक धर्म प्रायः अधर्म की उपासना कराता है, इन्तिदामें बंधन की आवश्यकता तो प्रतीत होती है , पर वह भी अपने लिये स्वयं बंधन लगाले , यह विशेष इष्ट है. सजनों को यह समझ लेना चाहिए कि जिस तरह पैसा कमाने के अनेक रास्ते हैं, उसी तरह मोक्ष प्राप्ति के भी अनेक मार्ग हैं; अतः लोगों को अपनी रुचि के अनुसार धर्माराधन करने देना चाहिए, जिससे विश्व-शान्ति ( Universal-calm) प्राप्त होकर आत्म कल्याण हो; ऐसा मेरा नम्र आभिप्राय है .
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