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* परिशिष्ट *
[१६१ की भारी आवश्यकता महसूस होती है, यह गंभीर विषय शीघ्र विचारणीय है, शासन रक्षकों को सतर्क बनकर शुद्धि-संगठन को कार्यान्वित करना चाहिए; जिससे जनं धमे का ध्वज पुनः सर्वत्र फहराने लगे. ___जैन धर्म के इतिहास से यह सब स्पष्ट नजर आता है कि प्रारम्भ में ब्राह्मणों के अत्याचारों का प्रतिकार जैन धर्म ने किया, भगवान महावीर ने इसके विरुद्ध बुलन्द आवाज़ उठाकर शान्ति स्थापन की. यह भी व्यक्त है कि मध्य भारत में उच्च कोम जो मांस-मदिरा से परे है, वह जैनों के सम्पर्क का परिणाम है और जैन धर्म का ही प्रभाव है, ऐसी एक बात भारत के हाइ कमान्डर लोकमान्य तिलक म० ने ता. ३० नवम्बर १९०४ को बड़ोदा शहर में दिये गये भाषण में कहा था; एवं अनेक निष्पक्ष विद्वान् लोग भी इसे स्वीकारते हैं और अपने व्याख्यानों में जाहिर करते हैं.
___ महात्मा गौतम बुद्ध का महावीर के मार्ग पर बड़ा भारी आदर था, उनने अपने 'मज्झिम निकाय' नामक ग्रन्थ में कहा है- हे महानाम ! मैं एक समय राजगृही नगर में गृद्धकूट नामक पर्वत पर विहार कर रहा था, उस समय ऋषीगिरी के समीप कालशीला पर बहुत से निर्ग्रन्थ मुनी आसन छोड़कर उपक्रम कर रहे थे, वे लोग Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com