________________
१५५]
* महावीर जीवन प्रभा *
से शासन रत्न विधमान हैं, पर संगठन न होने से शासन को लाभ नहीं पहुँचता; प्रत्युत हानि है, इस पर जिम्मेवार आचार्यों को विचार करना चाहिए.
प्रकाश-शासन रत्नों का एक छोटासा लिस्ट यहाँ पेश किया गया है, कैसे कैसे नररत्न संसार में अवतरे थे ! वे अपना नाम अमर कर गये हैं. आचार्य-उपाध्याय और मुनिवरों से यह प्रार्थना है कि गृह युद्ध से दूर रहकर पूर्वाचार्यों की तरह शासन सेवा करें- पाठको! वैसे रत्नों के आप उपासक बनकर अपना कल्याण करें.
( भक्त नृपेन्द्रों)
वैशाली नगरी के चेटक महाराजा, मगधाधिपति श्रेणिक नृपेन्द्र, अंगदेशाधिपति कोणिक भूपति, चण्डप्रद्योतन महिपति, उदायन राजा, काशी देश के अधिपति मल्लकी गौत्र के नौ राजा तथा कौशल देश के अधीश्वर लेच्छकीय गौत्र के नौ राजा; इत्यादि अनेक भूपेन्द्र भगवान् महावीर के भक्त थे, जैन धर्म के उपासक थे और परम श्रद्धावन्त थे.
प्रकाश-राजा जैसे विलासियों भी अपना विलास कमकर धर्म में प्रवृत होगए और परमात्मा के परम भक्त Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com