________________
११६ ]
* महावीर जीवन प्रभा *
दुर्दशा है; यह तो चस्मदीदसा है कि चर्चिल - एमरी आदि के निरकुंश शासन ने अपने गर्व में मस्त बनकर भारत को अनहद्द नुकशान पहुँचाया है, यह जनता से अज्ञात नहीं है. काँग्रेस और मुस्लीम लीग का परस्पर टकराना भी अहंभाव का प्रदर्शन है. हिन्दु महासभा अपना अलग ही आलाप करती है, धर्म का, शासन का, समाज का और देश का विध्वंसक कारण अहंकार ही है; यह अनुभूत है. इसी तरह गौतम ऋषि जैसे सामान्य व्यक्ति को महावीर जैसे सर्वज्ञ देव से वाद-विवाद करने की कामना उत्पन्न होने का कारण उन पर अभिमान का भूत सवार होगया था, मानान्धता जीवन पर छा गई थी, पर दूसरे अभिमानियों से आपमें यह विशिष्टता थी कि समझ जाने बाद फौरन फलाकीर्ण वृक्ष की तरह नीचे झुक जाते थे और आपने किया भी वैसा ही समाधान होते ही भगवान् के शिष्य बन गये, अहंकार को देश निकाला देकर एक अत्यन्त नम्र विभूति बन गये- महानुभावो ! क्या आप भी अंहकार के लकवे ( Paralysis) का इलाज करावेंगे ? कि इसी हालत में जीवन खत्म करदेंगे, जानते हुवे ज़हर मत पीजिये, विनय-नम्रता-गुण का थोड़ा स्वाद (Taste ) तो लीजिये ! देखो आपका जीवन कितना उन्नत बन जाता है, यशः - कीर्ति किस तरह आपके गले में वरमाला डालती है, शान्ति का साम्राज्य
6804
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com
-