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। ३६ )
सम्बत्
चातुर्मास जगह
निरन्तर उपवास
सिरियारी गोगुन्दा पाली
देवगढ़
१८७३ १८७४ १८७५ १८७६ १८७७ १८७८ १८७६ १५८० १८९१
पुर
आमेट
पाली
पाली
७५,२१ "
१८९२
पाली
१०१ ॥ १८६ ,
१८५३
कांकरोली
अन्तिम १८६ दिनोंका उपवास सं० १८८३ के जेठ बदी में प्रारम्भ किया था। प्रथम दिनके उपवासमें ही उन्होंने प्राचार्य श्री रायचन्दजी महाराजके सामने छः महीनेका निरन्तर उपवास एक साथ प्रत्याख्यान कर लिया। दो अन्य साधुओंने भी ऐसे ही उपवास पचखे। इनमें एकका नाम श्री वर्तमानजी महाराज और दूसरेका नाम भी हीरालालजी महाराज था
इस लम्बे उपवासके समाप्त होने के एक महीने बाद ही स्वामी पृथ्वीराजजी महाराजका स्वर्गारोहण हो गया।
स्वामी पृथ्वीराजजीके समसामयिक साधु श्री शिवजी महाराज भी बड़े उग्र तपस्वी थे। वे बाफना वंशके श्रोसवाल थे। उनका जन्म मेवाड़के लव प्राममें हुआ था। उनके उपवासोंका विवरण निम्न • प्रकार है।
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