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श्री जन शासन संस्था जोड़ा गया है। पू. पं. श्री अभयसागर जी म. सा. के महोत्सव आयोजन संबंधी तात्विक विचार, शुद्धि पत्रक, जम्बद्वीप की निर्माणधीन योजना का संक्षिप्त दिग्दर्शन, पुस्तक प्रकाशन में द्रव्य सहायकों की सूची आदि भी जोड़ी गई है।
इस पुस्तक की अधिकांश बातें श्री श्वेताम्बर मूति पूजक संघ के प्रायः सभी समुदाय में मान्य है, क्योंकि मुनि (साधु) सम्मेलन द्वारा अनुमोदित हैं। अतः समस्त चतुविधि संघ को यह उपयोगी सिद्ध होगी, ऐसी आशा है । यह तृतीयावृत्ति परमोपकारी स्व. दादागुरु पू. उपा. श्री धर्मसागरजी म.सा. एवं श्री अभयसागरजी म. सा. के चरण कमलों में सादर सविनय समर्पित करता हूँ।
इस पुस्तक प्रकाशन में प्राप्त द्रव्य सहयोग में से बची हुई राशि इसी प्रकार की जीवनोपयोगी हितकर पुस्तकें प्रकाशित करवाने में ली जावेगी। द्रव्य सहायकों के उदार सहयोग की हार्दिक अनुमोदना । पुस्तक तैयार कराने में प्रारम्भ से अन्त तक सुश्रावक श्री नथमलजी पीतलिया रतलाम ने अथक परिश्रम किया तथा सुराना प्रेस के स्वामी श्री ज्ञानचन्दजी सुराना ने व्यक्तिगत रुचि लेकर निर्देशानुसार मुद्रण किया उसकी अनुमोदना किये बिना नहीं रह सकते।
यदि इस छोटे से प्रयास से श्री संघ ने कुछ लाभ उठाया, अपनी कार्य पद्धित में निर्देशानुसार सुधार किया तथा दोष से बचे तो मैं अपना श्रम सार्थक समझंगा। इसके प्रकाशन में जिन महानुभावों ने ज्ञात एवं अज्ञात रूप में तन-मन धन से सहयोग किया उसकी पुनः अनुमोदना । अगले संस्करण को और उपयोगी विस्तृत एवं उत्कृष्ट बनाने हेतु सुझाव, संशोधन सादर आमंत्रित है । शासनशास्त्र मर्यादा एवं पंचांगी जिनागम आज्ञा विरुद्ध अथवा मुद्रण अशुद्धि से कोई दोष रह गया हो तो त्रिविमिच्छामि दुक्कडं । वीर सं २५१७ मार्ग शीर्ष विदी १० (दूसरी) | पं० निरूपमसागर
श्री महावीर स्वामी दीक्षा कल्याणक श्री जैन उपाश्रय, विक्रम सं २०४७ सोमवार दि. १२-११-९० | डगजि. झालावाड़ राज.
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