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जैनसम्प्रदायशिक्षा |
से दयामूल जैनधर्म का ग्रहण किया था, उक्त राजा ( खरहत्थ सिंह ) के चार पुत्र थे - १ - अम्बदेव । २-नींबदेव । ३ - भेंसासाह और ४ - आसू । इन में से प्रथम अम्बदेव की औलादवाले लोग चोर बेरड़िया ( चोरड़िया ) कहलाये ।
चोर बेरड़ियों में से नीचे लिखे अनुसार पुनः शाखायें हुई :
१- तेजाणी । २-धन्नाणी । ३ - पोपाणी । ४ - मोलाणी । ५- गल्लाणी । ६ - देवसयाणी । ७ - नाणी । ८- श्रवणी । ९ - सहाणी । १० कक्कड़ | ११- मक्कड़ | १२- भक्कड़ | १३- लुटंकण । १४ - संसारा । १५ - कोबेरा । १६ - भटार किया । १७- पीत लिया ।
दूसरे नींबदेव की औलादवाले लोग भटनेरा चौधरी कहलाये । तीसरे भैंसासाह के पाँच स्त्रियाँ थीं उन पाँचों के पाँच पुत्र हुए
थे
१ - कुँवर जी । २ - गेलो जी । ३- बुच्चो जी । ४- पासू जी और ५- सेल्हस्थ जी । इनमें से प्रथम कुँवर जी की औलादवाले लोग साहसुखा ( सावणसुखा ) कहलाये |
दूसरे गेलो जी की औलादवाले लोग गोलवच्छा ( गोलेच्छा ) कहलाये । तीसरे बुच्चो जी की औलादवाले लोग बुच्चा कहलाये ।
चौथे पासू जी की औलादवाले लोग पारख कहलाये ।
पारख कहलाने का हेतु यह है कि आहड़ नगर में राजा चन्द्रसेन की सभा में किसी समय अन्य देश का निवासी एक जौहरी हीरा बेंचने के लिये लाया और राजा को उस हीरे को दिखलाया, राजा ने उसे देख कर अपने नगर के जौहरियों को परीक्षा के लिये बुलवा कर उस हीरे को दिखलाया, उस हीरे को देख कर नगर के सब जौहरियों ने उस हीरे की बड़ी तारीफ की, दैवयोग से उसी समय किसी कारण से पासू जी का भी राजसभा में आगमन हुआ, राजा चन्द्रसेन ने उस हीरे को पासू जी को दिखलाया और पूछा कि - "यह हीरा कैसा है ?" पासू जी उस हीरे को अच्छी तरह देख कर बोले कि - "पृथ्वीनाथ ! यदि इस हीरे में एक अवगुण न होता तो यह हीरा वास्तव में प्रशंसनीय ( तारीफ के लायक ) था, परन्तु इस में एक अबगुण है इस लिये आप के पास रहने योग्य यह हीरा नहीं है" राजा ने उन से पूछा कि - "इस में क्या अवगुण है ?" पासू जी ने कहा कि"पृथ्वीनाथ ! यह हीरा जिस के पास रहता है उस के स्त्री नहीं ठहरती है, यदि मेरी बात में आप को कुछ सन्देह हो तो इस जौहरी से आप दर्यात्फ कर लें" राजा ने उस जौहरी से पूछा कि - "पासू जी जो कहते हैं क्या वह बात ठीक है ?" जौहरी ने अत्यन्त खुश होकर कहा कि - "पृथ्वीनाथ ! निसन्देह पासू जी आप के नगर में एक नामी जौहरी हैं, मैं बहुत दूर २ तक घूमा हूँ परन्तु इन के समान कोई जौहरी मेरे देखने में नहीं आया है, इन का कहना बिलकुल सत्य है क्योंकि जब यह हीरा मेरे पास आया था उस के थोड़े ही दिनों के बाद मेरी स्त्री गुजर
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