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चतुर्थ अध्याय ।
५७५ आमवात रोग का वर्णन। कारण-परस्पर विरुद्ध आहार और विरुद्ध विहार (जैसे भोजन करके शीघ्र ही दण्ड कसरत आदि का करना) मन्दाग्नि का होना, निकम्मा बैठे रहना, तथा स्निग्ध (चिकने) पदार्थों को खाकर दण्ड कसरत करना, इत्यादि कारणों से आम (कच्चा रस) वायु से प्रेरित होकर कफ के आमाशय आदि स्थानों में जाकर तथा वहां कफ से अत्यन्त ही अपक्क होकर वह आम धमनी नाड़ियों में प्राप्त हो कर तथा वात पित्त और कफ से दूषित होकर रसवाहिका नाड़ियों के छिद्रों में सञ्चार करता है तथा उन के छिद्रों को बन्द कर भारी कर देता है तथा अग्नि को मन्द और हृदय को अत्यन्त निर्बल कर देता है, यह आमसंज्ञक रोग अति दारुण तथा सब रोगों का स्थान माना जाता है।
लक्षण-भोजन किये हुए पदार्थ के अजीर्ण से जो रस उत्पन्न होता है वह क्रम २ से इकट्ठा होकर आम कहलाता है, यह आम रस शिर और सब अंगों में पीड़ा को उत्पन्न करता है।
इस रोग के सामान्य लक्षण ये हैं कि-जब वात और कफ दोनों एक ही समय में कुपित हो कर पीड़ा के साथ त्रिकस्थान और सन्धियों में प्रवेश करते हैं कि जिस से इस प्राणी का शरीर स्तम्भित (जकड़ा हुआ सा) हो जाता है, इसी रोग को आमवात कहते हैं।
कई आचार्यों ने यह भी कहा है कि-आमवात में अंगों का टूटना, अरुचि, प्यास, आलस्य, शरीर का भारी रहना, ज्वर, अन्न का न पचना और देह में शून्यता, ये सब लक्षण होते हैं।
परन्तु जब आमवात अत्यन्त बढ़ जाता है तब उस में बड़ी भयंकरता होती है अर्थात् वृद्धि की दशा में यह रोग दूसरे सब रोगों की अपेक्षा अधिक कष्टदायक होता है, बढ़े हुए आमवात में-हाथ, पैर, मस्तक, घोंटू, त्रिकस्थान, जानु और जंघा, इन की सन्धियों में पीडायुक्त सूजन होती है, जिस २ स्थान में वह आम रस पहुँचता है वहाँ २ विच्छू के डंक के लगने के समान पीड़ा होती है।
इस रोग में-मन्दाग्नि, मुख से पानी का गिरना, अरुचि, देह का भारी रहना, उत्साह का नाश, मुख में विरसता, दाह, अधिक मूत्र का उतरना, कूख में कठिनता, शूल, दिन में निद्रा का आना, रात्रि में निद्रा का न आना, प्यास, वमन, भ्रम (चक्कर), मूर्छा (वेहोशी), हृदय में क्लेश का मालूम होना, मल का अवरोध
१-आमवात अर्थात् आम के सहित वायु ॥ २-रसवाहिका नाड़ियों के अर्थात् जिन में रस का प्रवाह होता है उन नाड़ियों के ॥ ३-दोनों फूलों तथा पीठ की जोड़वाली हड्डी के स्थान को त्रिकस्थान कहते हैं ॥ ४-पीड़ायुक्त अर्थात् दर्द के साथ ।। ५-विरसता अर्थात् फीकापन ।।
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