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चतुर्थ अध्याय ।
अर्थात् न तो आँखोंके द्वारा ध्यान के साथ देखकर मूत्र के करनी पड़ती है और न रसायनिक परीक्षा के द्वारा अनेक स्थित अनेक पदार्थों की जाँच करनी पड़ती है, किन्तु इस रीति से मूत्र के रँग आदि की तथा मूत्र में स्थित और मूत्र के साथ जानेवाले पदार्थों की जाँच अतिसुगमता से हो जाती है, परन्तु हाँ इस ( सूक्ष्मदर्शक ) यत्र के द्वारा मूत्र में स्थित पदार्थों की ठीक तौर से जाँच कर लेना प्रायः उन्हीं के लिये सुगम है जिन को मूत्र में स्थित पदार्थों का स्वरूप ठीक रीति से मालूम हो, क्योंकि मिश्रित पदार्थ में स्थित वस्तुविशेष ( खास चीज़ ) का ठीक निश्चय कर लेना सहज वा सर्वसाधारण का काम नहीं है, यद्यपि यह बात ठीक है कि सूक्ष्मदर्शक यन्त्र से मूत्र में मिश्रित तथा सूक्ष्म पदार्थ भी उत्कटरूप से प्रतीत होने लगता है तथापि यह तो मानना ही पड़ेगा कि उस पदार्थ के स्वरूप को न जाननेवाला पुरुष उस का निश्चय कैसे कर सकता है, जैसे- दृष्टान्त के लिये यह कहा जा सकता है किआल्ब्युमीन के स्वरूप को जो नहीं जानता है वह सूक्ष्मदर्शक यन्त्र के द्वारा मूत्र में स्थित आल्ब्युमीन को देख कर भी उस का निश्चय कैसे कर सकता है, तात्पर्य केवल यही है कि सूक्ष्मदर्शक यन्त्र के द्वारा वे ही लोग मूत्र में स्थित पदार्थों का निश्चय सहज में कर सकते हैं जो कि उन ( मूत्र में स्थित ) पदार्थों के स्वरूप को ठीक रीति से जानते हों ।
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रँग आदि की जाँच रीतियों से मूत्र में
यह तो प्रायः सब ही जानते और मानते हैं कि- वर्तमान समय में अपने देश के वैद्यों की अपेक्षा डाक्टर लोग शरीर के आभ्यन्तर ( भीतरी) भागों, उन की क्रियाओं और उन में स्थित पदार्थों से विशेष विज्ञ ( जानकार ) हैं, क्योंकि उन को शरीर के आभ्यन्तर भागों के देखने भालने आदि का प्रतिदिन काम पड़ता है, इसलिये यह कहा जा सकता है कि- डाक्टर लोग सूक्ष्मदर्शक यन के द्वारा मूत्रपरीक्षा को अच्छे प्रकार से कर सकते हैं ।
पहिले कह चुके हैं कि - इस ( सूक्ष्मदर्शक ) यत्र के द्वारा जो मूत्रपरीक्षा होती है वह मूत्र में स्थित पदार्थों के स्वरूप के ज्ञान से विशेष सम्बन्ध रखती है, इस लिये सर्वसाधारण लोग इस परीक्षा को नहीं कर सकते हैं, क्योंकि मूत्र में स्थित सब पदार्थों के स्वरूप का ज्ञान होना सर्वसाधारण के लिये अतिदुस्तर ( कठिन ) है, अतः सूक्ष्मदर्शक यन्त्र के द्वारा जब मूत्रपरीक्षा करनी वा करानी हो तब डाक्टरों से करानी चाहिये, अर्थात् डाक्टरों से मूत्रपरीक्षा करा के मूत्र में जानेवाले पदार्थों की न्यूनाधिकता ( कमी वा ज्यादती ) का निश्चय कर तदनुकूल उचित उपाय करना चाहिये ।
ऊपर लिखे अनुसार मूत्र में स्थित सब पदार्थों के स्वरूप का ज्ञान यद्यपि सर्वसाधारण के लिये अति दुस्तर है और उन सब पदार्थों के स्वरूप का वर्णन करना भी एक अति कठिन तथा विशेषस्थानापेक्षी ( अधिक स्थान की आकांक्षा रखने३६ जै० सं०
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