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जैनसम्प्रदायशिक्षा |
नृटिश गवर्नमेंट के अधिकार में है और इस समय कोई किसी के साथ अत्याचार और अनुचित वर्ताव नहीं कर सकता है और न कोई किसी पर किसी तरह का दबाव ही डाल सकता है इस लिये इस सुधरे हुए समय में तो आर्य श्रीमन्तों को अपने हिताहित का विचार कर प्राचीन सन्मार्ग पर ध्यान देना ही चाहिये ।
दूध में खार तथा खटाई का जितना तत्व मौजूद है उस से अधिक जन खार और खटाई का योग हो जाता है तब वह हानि करता है अर्थात् उस का गुणकारी धर्म नष्ट होजाता है इसलिये विवेक के साथ दूध का उपयोग करना चाहिये ।
दूध के विषय में और भी कई बातें समझने की हैं जिन का समझ लेन सर्व साधारण को उचित है, वे ये है कि-जैसे दूध में खार तथा खटाई के मिलने से वह फट जाता है ( इस बात को प्रायः सब ही जानते हैं ) उसी प्रकार यदि खार तथा खटाई के साथ दूध खाया जावे तो वह अवश्य हानि करता है, वैद्यक ग्रन्थों का कथन है कि यदि दूध को भोजन के समय खाना हो तो भोजन के सब पदार्थों को खा कर पीछे से दूध पीना चाहिये, अथवा भोजन के पीछे भात के साथ दूध को खाना चाहिये, हां यदि भोजन में दूध के विरोधी खटाई, मिर्च, तेल, पापड़ और गुड़ आदि पदार्थ न हों तो भोजन के साथ ही में दूध को भी खा लेना चहिये ।
दूध के साथ खाने में बहुत से पदार्थ मित्र का काम करते हैं और बहुत से पदार्थ शत्रु का काम करते हैं, इस का कुछ संक्षिप्त वर्णन किया जाता है: --
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रस
दूध के मित्र - दूध में छः रस हैं - इसलिये इन छःओं रसों के समान स्वभाववाले ( छःओं रसों के स्वभाव के तुल्य स्वभाववाले ) पदार्थ दूध के अनुकूल अर्थात् मित्रवत् होते हैं, देखो! दूध में खट्टा रस है उस खटाई का मित्र बला दूध में मीठा रस है उस मीठे रस का मित्र बूरा या मिश्री है, दूध में कडुभा है उस कडुए रस का मित्र परबल है, दूध में तीखा रस है उस तीखे रस का मित्र सोंठ तथा अदरख है, दूध में कपैला रस है उस कपैले रस का मित्र रड़ है, तथा दूध में खारा रस है उस खारे रस का मित्र सेंधानमक है, इन के सिवाय गेहूँ के पदार्थ अर्थात् पूरी औह रोटी आदि, चावल, घी, मक्खन, दाख, शहद, मीठे आम के फल, पीपल, काली मिर्च, तथा पाकों में जिन का उपयोग होता है पुष्टि और दीपन के सब पदार्थ भी दूध के मित्र वर्ग में हैं ।
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दूध के अमित्र ( शत्रु ) - संधे नमक को छोड़ कर बाकी के सब प्रकार के खार दूध के गुण को विगाड़ डालते हैं, इसी प्रकार आँवले के सिवाय सब तरह की खटाई, गुड़, मूंग, मूली, शाक, मद्य, मछली, और मांस दूध के सङ्ग मिल कर शत्रु का काम करते हैं, देखो! दूध के सङ्ग नमक वा खार, गुड़, मूंग, मौठ, मछली और मांस के खाने से कोढ़ आदि चर्मरोग हो जाते हैं, दूध के साथ शाक, मद्य ओर आसव के खाने से पित्त के रोग होकर मरण हो जाता है।
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