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जैनसम्प्रदायशिक्षा।
ककड़ी तीनों दोषों को कुपित करती है इसलिये वह खाने और शाक के लायक बिलकुल नहीं है, हां यदि खूब पकी हुई हो और उस की एक या दो फांके काली मिर्च और सेंधानमक लगा कर खाई जावें तो वह अधिक नुकसान नहीं करती है परन्तु इस का अधिक उपयोग करने से हानिही होती है।
कलिन्द (मंतीरा)-कफकारक और वायुकारक है, लोग कहते हैं कि-यह पित्त की प्रकृतिवाले के लिये अच्छा है परन्तु इस का अधिक सेवन करने से क्षय की बीमारी हो जाती है, वास्तव में तो ककड़ी और मतीरा तीनों दंपों में अवश्य विकार को पैदा करते हैं इस लिये ये उपयोग के योग्य नहीं हैं।
बीकानेर के निवासी लोग कच्चे मतीरे का शाक करते हैं तथा पके हुए मतीरे को हेमंत ऋतु में खाते हैं सो यह अत्यन्त हानिकारक है, मारवाड़ के जाट लोग और किसान आदि कच्ची बाजरी के मोरड़ को खाकर ऊपर से मतीरे को वा लेते हैं, इस से उन को अभ्यास होने से यद्यपि किसी अंश में कम कमान होता है तथापि महिनों तक उस का सेवन करने से शीत दाह ज्वर का स्वाद उन्हें भी चखना ही पड़ता है।
सेम की फली-मीठी है, टंढी और भारी होने से वातल है, पित्त को मिटाती है तथा ताकत देती है।
गुरवार फली-रूक्ष, भारी, कफकारक, अग्निदीपक, सारक (दनावर) और पित्तहर है, परन्तु वायु को बहुत करती है।
सहजने की फली-मीठी, कफहर, पित्तहर और अत्यन्त अग्निदीपक है, शूल, कोढ़ क्षय, श्वास तथा गोले के रोग में बहुत पथ्य है, सहजने की फली के सिवाय बाकी सब फलियां वातल हैं।
सूरण केन्द-अग्निदीपक, रूक्ष, हलका, पाचक, पित्तकर्ता, तीक्ष्ण, मलस्तम्भक और रुचिकर है, हरस, शूल, गोला, कृमि, कफ, मेद, वायु, अरुचि, श्वास, तिल्ली और खांसी, इन सब रोगों में फायदेमन्द है, परन्तु दान, कोद और रक्तपित्त के रोगी के लिये अपथ्य है, हरस की वीमारी में इस क' शाक तथा इसी की रोटी पूड़ी और शीरा आदि बनाकर खाने से दवा का काम करता है, कन्दशाकों में सूरण का शाक सब से श्रेष्ट है परन्तु इस को अच्छीतरह पका कर तथा घृत डालकर खाना चाहिये। __आलू-ठंढा, मीठा, रूक्ष, मूत्र तथा मल को रोकनेवाला, पोषणकारक, बलवर्धक, स्तन के दूध तथा वीर्य को बढ़ानेवाला, रक्तपित्त का नाशक और कुछ वायुकर्ता है परन्तु अधिक घी के साथ खाने से वायु नहीं करता है, अंगार में भून
१-इस को गुजरात में चीभड़ा कहते हैं तथा इसी का नाम संस्कृत में चिर्भटी है। २-इस को पूर्व देश में तरबूज कहते है और वहां वह गर्मी की ऋतु में उत्पन्न होता है। ३-इस में अरुई की तरह कांटे होते हैं ।
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