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नैनसम्प्रदायशिक्षा |
धनिया, जीरा और हींग आदि सब मसाले अच्छी तरह से डाले जायें परन्तु क्षार (नमक) न डाला जावे तो वह शाक खाने के लायक नहीं बनता है ।
पानी -- शरीर के पोषण के लिये पानी के समान प्रवाही पदार्थ की भी बहुत ही आवश्यकता है, क्योंकि जिस लोहू के नियमित फिरनेपर जीवन का आधार है वह लोहू प्रवाही पानी से ही फिर सकता है, यदि शरीर में प्रवाही भाग कम हो जाये तो लोहू गाढ़ा हो जाये और उस का फिरना बन्द होजावे, शरीर को यह प्रवाही तत्त्व जैसे पानी में से मिलता है उसी प्रकार दूसरे खाने के प्रत्येक पदार्थ में से भी मिल सकता है, देखो ! हम सब लोग गेहूँ बाजरी और चावल आदि खाते हैं उन में भी पानी का भाग है, एवं शाक तरकारी और फलादि से भी पानी का अधिक भाग शरीर को प्राप्त होता है ।
इस बात का जान लेना भी बहुत आवश्यक है कि इन पांच प्रकार के तत्त्वों में से प्रत्येक का कितना २ परिमाण शरीर के पोषण के लिये नित्य आवश्यक है, यद्यपि शरीर की रचना, अभ्यास, प्रकृति, देश के जल वायु और अवस्था के अनुसार आवश्यक तत्वों से युक्त न्यूनाधिक खुराक ली जाती है तथापि सामान्यतया प्रतिदिन कौन से तत्वों से युक्त कितनी खुराक लेनी चाहिये उसका परिमाण नीचे लिखा जाता है:
संख्या
१
२
३
४
५
ܐ
प्रत्येक तत्त्ववाला पदार्थ ॥
पौष्टिक तत्ववाला खुराक ॥
चरबीवाले तवसे युक्त खुराक ॥ आटेके सत्ववाले तत्त्व से युक्त खुराक ॥
क्षार ॥ पानी ॥
परिमाण ॥ १० रुपये भर॥
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८ ""
३० १ ४
१५०
99
29
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33
22
ऊपर कह चुके हैं कि - पानी अर्थात् प्रवाही तत्व चरबीवाले तत्वोंसे युक्त पदार्थों के सिवाय प्रत्येक जाति के पदार्थ में मौजूद है, इस कोष्ठ में प्रथम चार प्रकार की खुराक का जो परिमाण लिखा है उस में प्रवाही तत्त्व शामिल नहीं है अर्थात् प्रवाही तत्त्वको छोड़ कर उक्त परिमाण लिखा गया है, यदि इन चार प्रकार की खुराकों में उनके प्रवाही तत्व को भी शामिल कर लिया जावे तो लगभग द्विगुण ( दुगुणा ) परिमाण हो जावेगा, तात्पर्य यह है कि ऊपर ५२ रुपये भर का जो खुराक का मध्यम परिमाण लिखा है उस के साथ पानी के तत्त्व को शामिल करने से प्रत्येक मनुष्य के लिये १०० रुपयेभर का खुराक का परिमाण आवश्यक होता है, इस परिमाण में १५० रुपये भर पानी का परिमाण पृथक् समझना चाहिये ।
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