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चतुर्थ अध्याय ।
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हवा कुदरती मिली हुई है और वह हवा प्राण की आधारभूत नहीं है तथा उस हवामें जलता हुआ दीपक रखने से बुझ जाता है, इस लिये मिश्रित वायु ही से सब कार्य चलता है अर्थात् श्वास लेने में तथा दीपक आदि के जलाने के समय अपने २ परिमाण के अनुकूल ये दोनों हवायें मिली हुई काम देती हैं, जैसे मनुष्य के हाथ में एक अंगूठा और चार अंगुलियां हैं इसी प्रकार से यह समझना चाहिये कि - हवा में एक भाग प्राण वायु का है और चार भाग शुद्ध वायु ( नाइट्रोजन ) है तथा हवा इन दोनों से मिली हुई है, हवा के दूसरे दो भाग भी इन्हीं में मिले हुए हैं और वे दोनों भाग यद्यपि बहुत ही थोड़े हैं तथापि दोनों अत्यन्त उपयोगी हैं, कोयला क्या चीज है यह तो सब ही जानते हैं किजंगल जल कर पृथ्वी में प्रविष्ट ( स ) हो जाता है बस उसी के काले पत्थर के सम्मान पृथ्वी में से जो पदार्थ निकलते हैं उन्हीं को कोयला कहते हैं और वे रेल के एञ्जिन आदि कलों में जलाये जाते हैं, चांवलों में से भी एक प्रकार के कोयले हो सकते हैं और ये ( चांवलोंके कोयले ) कार्बन कहलाते हैं, प्राणवायु और कोयलों के मिलने से एक प्रकार की हवा बनती है उस को अंग्रेजी में कार्बोनिक एसिड ग्यॅस कहते हैं, यही हवा में तीसरी वस्तु है तथा यह बहुत भारी ( वजनदार ) होती है और यह कभी २ गहरे तथा खाली कुए के तले इकट्ठी होकर रहा करती है, खत्ते में और बहुत दिनों के बन्द मकान में भी रहा करती है, इस हवा में जलती हुई बत्ती रखने से बुझजाती है तथा जो मनुष्य उस हवा में श्वास लेता है वह एकदम मर जाता है, परन्तु यह हवा भी वनस्पतिक पोषण करती है अर्थात् इस हवा के विना वनस्पति न तो उग सकती है और न कायम रह सकती है, दिन को उस का भाग वृक्ष की जड़ और वनस्पति चूस लेती है, यह भी जान लेना आवश्यक है कि इस हवा के ढाई हजार भागों में केवल एक भाग इस जहरीली हवा का रहता है, इसी लिये ( इतना थोड़ा सा भाग होने हीसे ) वह हवा प्राणी को कुछ बाधा नहीं पहुँचा सकती है, परन्तु हवा में पूर्व कहे हुए परिमाण की अपेक्षा यदि उस ( ज़हरीली ) हवा का थोड़ा सा भी भाग अधिक होजावे तो मनुष्य वीमार हो जाते हैं ।
पहिले कह चुके हैं कि - हवा में चौथा भाग पानी के परमाणुओं का है, इस का प्रत्यक्षण यह है कि यदि थाली में थोड़ा सा पानी रख दिया जावे तो वह धीरे २ उड़ जाता है, इस विषय में अर्वाचीन विद्वानों तथा डाक्टरों का यह कथन कि- सूर्य की गर्मी सदा पानी को परमाणुरूपसे खींचा करती है, परन्तु सर्वज्ञ
के कहे हुए सूत्रों में यह लिखा है कि- जल वायुके योगसे
सूक्ष्म होकर परमाणु
१ ब त दिनों के बंद मकान में बुसने से बहुत से मनुष्य आदि प्राणी मर चुके हैं, इस
का कारण केवल जहरीली हवा ही है, परन्तु बहुत से भोले लोग बंद मन में भूत प्रेत आदि का निवास तथा उसी के द्वारा बाधा केवल उनकी अज्ञानता है ||
पदार्थविद्या के न जानने से पहुँचना मान देते हैं, यह
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