________________
१३८
जैनसम्प्रदायशिक्षा।
चाहिये कि जिस से बालक के पैर गर्म रहें, जब पैर ठंढे पड़ जावें तो उन को गर्म पानी में रख के गर्म कर देना चाहिये तथा पैरों में मोजे पहने देना चाहिये, सोते समय भी पैर गर्म ही रहें ऐसा उपाय करना चाहिये क्योंकि पैर ढंढे रहने से सर्दी लगकर व्याधि होने का सम्भव है, शीत ऋतु में पैरों में मोजे तथा मुलायम देशी जूते पहनाना चाहिये क्योंकि पैरों में जूते पहनाये रखने से ठंढ गर्मी और कांटों से पैरों की रक्षा होती है परन्तु कड़े ( कठिन ) जूते नहीं पहनाना चाहिये क्योंकि सँकड़े जूते पहनाने से बालक के पैर का तलवा बढ़ता नहीं है, अंगुलियां संकुच जाती है तथा पैर में डाले आदि पड़ जाते हैं, बालक को चलाने और खड़ा करने के लिये माता को वरा (शीघ्रता) नहीं करनी चाहिये किन्तु जब बालक अपने आप ही चलने और खड़ा होने की इच्छा और चेष्टा करे तब उस को सहारा देकर चलाना और खड़ा करना चाहिये क्योंकि बलात्कार चलाने और खड़ा करने से उप के कोमल पैरों में शक्ति न होने से वे (पैर ) शरीर का बोझ नहीं उठा सकते हैं, इस से बालक गिर जाता है तथा गिर जाने से उस के पैर टेढ़े और मुडे हुए हो जाते हैं, घुटने एक दूसरे से भिड़ जाते हैं और तलवे चपटे हो जाते हैं इत्यादि अनेक दूपण पैरों में हो जाते हैं, बालक को घर में खुले (नंगे) पैर चलने फिरने देना चाहिये क्योंकि नंगे पैर चलने फिरने देने से उस के पैरों के तलवे मजबूत और सख्त हो जाते हैं तथा पैरों के पझे भी चौत हो जाते हैं। १५-मस्तक-बालक का मस्तक सदा ठंढा रखना चाहिये, यदि मस्तक गर्म हो
जावे तो ठंढा करने के लिये उस पर शीतल पानी की धारा डालनी चाहिये, पीछे उसे पोछ कर और साफ कर किसी वासित तेल का उस पर मर्दन करना चाहिये, क्योंकि मस्तक को धोने के पीछे यदि उस पर किसी वासित तेल का मर्दन न किया जावे तो मस्तक में पीड़ा होने लगती है, बालक के मस्तक से बाल नहीं उतारना चाहिये और न बड़ी शिखा तथा चोटला रखना चाहिये किन्तु केवल बाल कटाते जाना चाहिये, हां बालिकाओं का तो जब वे चार पांच वर्ष की हो जावें तब चोटला रखना चाहिये, बालक को स्नान कराते समय प्रथम मस्तक भिगोना चाहिये पीछे सब शरीर पर पानी डाल कर स्नान कराना चाहिये, मस्तक पर ठंढे पानी की धारा डालने से मगज़ तर रहता है, मस्तक पर गर्म किया हुआ पानी नहीं डालना चाहिये, बालों को सदा मैल काटनेवाली चीजों से धोना चाहिये, पुत्र के बाल प्रतिदिन और पुत्री के बाल
१-न केवल बालकका ही मस्तक ठंढा रखना चाहिये किन्तु सब लोगों को अपना मस्तक सदा ठंढा रखना चाहिये क्योंकि मस्तक वा मगज को तरावटकी आवश्यकता रहती है॥ २-मस्तक पर गर्मपानी के डालने से जो हानि है वह नम्बर दो (खान विषय ) में पूर्व लिख आये हैं।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com