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जैनसम्प्रदायशिक्षा।
हो जावे इस लिये झूले या पासने के आंकड़े (कड़े) नहीं बोलने देना चाहिये, बालक के सोते समय जोर से झोंका नहीं देना चाहिये, सोने के झूले वा बिछौने के पास यदि शीत भी हो तो भी आग की सिगड़ी वा दीपक समीप में नहीं रखना चाहिये, जब बालक सो कर उठ बैठे तब शोघ्रही बिछौने को लपेट कर नहीं रख देना चाहिये किन्तु जब उस में कुछ हवा लग जावे तथा उस के भीतर की गन्दगी (दुर्गन्धि) उड़ जाये तब उसको उठा कर रखना चाहिये, सोते समय बालक को चांचड़, खटमल और जुएँ आदि न काटें, इस का प्रबन्ध रखना चाहिये, उस के सोने का बिछौना धोया हुआ तथा साफ रखना चाहिये किन्तु उस को मलीन नहीं होने देना चाहिये, यदि बिछौना वा झोला मलमूत्र से भीगा होवे तो शीघ्र उस को बदल कर उस के स्थान में दूसरे किसी स्वच्छ वस्त्र को बिछा कर उस पर बालक को सुलाना चाहिये कि जिस से उसे सर्दी न लग जावे। १२-कसरत-बालक को खुली हवा में कुछ शारीरिक कसरत मिल सके ऐसा
प्रयत्न करना चाहिये क्योंकि शारीरिक कसरत से उस के शरीर का भीतरी रुधिर नियमानुसार सब नसों में घूम जाता है, खाये हुए अन्न का रस होकर तमाम शरीर को पोषण (पुष्टि) मिलता है, पाचनशक्ति बढ़ती है, स्नायु का सञ्चलन होने से लोहू भीतरी मलीन पदार्थों को पसीने के द्वारा बाहर निकाल देता है जिस से शरीरका बन्धान दृढ़ और नीरोग होता है, नींद अच्छी आती है तथा हिम्मत, चेतनता, चञ्चलता और शूरवीरता बढ़ती है, क्योंकि बालककी स्वाभाविक चंचलता ही इस बात को बतलाती है कि-बालक की अरं गता रहने और बड़ा होने के लिये प्रकृति से ही उस को शारीरिक कसरत की आवश्यकता है, उत्पन्न होने के पीछे जब बालक कुछ मासों का हो जाये तब उस को सुवह शाम कपड़े पहना के अच्छी हवा में ले जाना चाहिये, कभी २ जमीन पर रजाई बिछा के उसे सुलाना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से वह इधर उधर पछाडे मारेगा और उस को शारीरिक कसरत प्राप्त होगी, इसी प्रकार कभी २ हँसाना, खिलाना, कुदाना और कोई वस्तु फेंक कर उसे मंगवाना आदि व्यवहार भी बालक के साथ करना चाहिये, क्योंकि इस व्यवहार में अति हँस कर वह हाथ पैर पछाड़ने, दौड़ने और इधर उधर फिरने के लिये चेष्टा करेगा और उस से उसे सहजमें ही शारीरिक कसरत मिल सकेगी !
जब बालक कुछ चलना फिरना सीख जावे तब उसे घर में तथा घर के बाहर समीप में ही खेलने देना चाहिये किन्तु उसे घर में न बिठला रखना चाहिये, परन्तु जिस खेल से शरीर के किसी भाग को हानि पहुँचे तथा जिस खेलसे नोति में विगाड़ हो ऐसा खेल नहीं खेलने देना चाहिये, इसी प्रकार दुष्ट लड़कों की
१-जैसे ढींगला ढींगली (गुडा और गुड़िया) का व्याह करना तथा उस से बालक जन्माना इत्यादि।
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