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THE
JAIN SAMPRADAYA SHIKSHA
जैनसंप्रदायशिक्षा
अथवा गृहस्थाश्रमशीलसौभाग्यभूषणमाला ।
जिसे
खर्गवासी श्वेताम्बरधर्मोपदेष्टा यति श्री-श्रीपाल
चन्द्रजीने निर्माण की।
द्वितीयावृत्ति.
बम्बईमें
पाण्डुरङ्ग जावजीने अपने निर्णयसागर छापखानेमें छापकर प्रसिद्ध की।
सन १९३१ ईसवी
NIRNAYA SAGAR PRESS.
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